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Editorial :- सत्ताप्राप्ति के लिये प्रजातांत्रिक व गैर प्रजातांत्रिक तरीकों से भारत को अस्थिर करने की साजिश

पंडित नेहरू को भारत के विभाजन के लिये याद किया जाता है। भारत विभाजन से महात्मा गांधी दुखित होकर बंगाल के एक कोने में अश्रु बहा रहे थे। संभवत: उन्हें पश्चाताप था सुभाष चंद्र बोस की जगह पंडित नेहरू को प्राथमिकता देने का। संभव है यही पश्चाताप आदरणीय अटल बिहारी वाजपेयी को हो रहा होगा कि उन्होंने अपने कैबिनेट में कुछ ऐसे व्यक्तियों को सम्मिलित कर लिया जो अब भाजपा के ही विरूद्ध बगावत कर रहे हैं।
हम अपेक्षा करते हैं कि मोदी मंत्रीमण्डल में   उस प्रकार के नवरत्नों का समावेश न हो। पासपोर्ट विवाद जैसे अन्य विवादों के माध्यम से प्रधानमंत्री बनने की लालसा जागृत उस प्रकार से न हो जिस प्रकार से विपक्षी पार्टियों के नेताओं में हो रही है।
अगर डॉ. मुखर्जी नहीं होते तो आज पश्चिम बंगाल भी पूर्वी पाकिस्तान (उस दौरान के) का ही हिस्सा होता, लेकिन हिंदुओं के अधिकारों को लेकर वे अपनी मांग और आंदोलन पर अडिग रहे, लिहाजा बंगाल विभाजन संभव हो सका
डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी को जनसंघ के संस्थापक अध्यक्ष एवं ‘एक देश में एक निशान, एक विधान और एक प्रधानÓ के संकल्पों को पूरा करने के लिए कश्मीर में खुद का बलिदान देने के नाते याद किया जाता है।
डॉ श्यामाप्रसाद मुखर्जी जनसंघ के संस्थापक थे। वही जनसंघ बाद में भाजपा का रूप ली। आज बंगाल की सत्ताधारी पाटी्र तृणमुल कांगे्रस शर्मीले लहजे में डॉ मुखर्जी की महिमा के प्रति आकर्षित हो रही है। उनकी मूर्तियों का अनावरण भी सरकारी स्तर पर हो रहा है और ममता जी के मंत्रीमण्डल के सदस्य भी उनकी ११७वी जयंती पर श्रध्दांजली अर्पित कर रहे हैं।
डॉ श्यामाप्रसाद मुखर्जी ने जिस ३७० धारा को हटाने के लिये अपना बलिदान दिया। डॉ मुखर्जी के साथ में ही अटल बिहारी वाजपेयी जी भी जनसंघ की स्थापना की थी। एक हाथ से आज ममता बैनर्जी तथा राहुल गांधी व अन्य विपक्षी पार्टियों के नेता अटल बिहारी वाजपेयी का गुणगान कर रहे हैं और दूसरे हाथ से वे ३७० धारा हटाये जाने का विरोध कर रहे हैं।
ये ही विपक्षी पार्टियों के नेता अब प्रजातांत्रिक और गैर प्रजातांत्रिक तरीकों से  भारत को अस्थिर करने की साजिश कर रहे हैं।
प्रजातांत्रिक तरीकों से वोट प्राप्त करना जरूरी है। जनसंख्या को असंतुलन करने की दृष्टि से अर्थात डेमोग्राफी चेंज करने की दृष्टि से बंगलादेशियों की घुसपैठ करावाई गई। इसके लिये बंगलादेशी घुसपैठियों को गैर-कानूनी तरीके से वोटर आईडी कार्ड लाखों की तादात में उपलब्ध कराये गये। इस समस्या से सभी प्रांत जूंझ रहे हैं विशेषकर प.बंगाल और आसाम।
बंगलादेशीयों के बाद एक साजिश के तहत रोहिंग्याओं की घुसपैठ भारत में हुई है। कांगे्रस और नेशनल कांफ्रेंस की मिली जुली सरकार के समय उन्हें जम्मू-कश्मीर में उन स्थानों पर बसाया गया जहॉ पर सेना की छावनियां है। आज ये ही रोहिंग्या आतंकवादियों की मदद कर रहे हैं ऐसे भी समाचार प्राप्त हो रहे हैं।
कश्मीर में भी डेमोग्राफी चेंज करने की दृष्टि से पाकिस्तान की शह पर अलगाववादियों में अत्याचार कर मारकाट कर कश्मीरी पंडितों को वहॉ से भगाकर उन्हें अपने ही देश में शरणार्थी बनने पर मजबूर किया।
अब एक साजिश के तहत बंगलादेशी घुसपैठियों के जैसे ही रोहिंग्याओं को वोटर आई कार्ड, आधार कार्ड, पेनकार्ड और पासपोर्ट उपलब्ध कराये जा रहे हैं।
आज ही 3 रोहिंग्या मुस्लिमों ने अवैध रूप से हैदराबाद में मतदाता पहचान पत्र, पैन कार्ड और भारतीय पासपोर्ट प्राप्त करने के बाद गिरफ्तार किया गया।
ये रोहिंग्या २०१३ में हैदराबाद चले गये, उन्हें स्थानीय लोगों की मदद से नकली दस्तावेज मिले। उन्हें धोखाधड़ी से आधारकार्ड, पेनकार्ड मतदाता पहचान पत्र, पासपोर्ट प्राप्त करने के लिये गिरफ्तार किया गया है।
इन लोगों ने बैंक खाता भी खोल लिया था।  एक पुलिस अधिकारी के मुताबिक तीनों यहॉ आकर स्थानीय लोगों के बीच घुल-मिल गये थे। तीनों ही आरोपी आवेदन पत्रों में स्वयं को भारतीय नागरिक बताते थे।
शुरुआती जांच में पता चला है कि इन तीनों का नाम संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग के पास शरणार्थी के रूप में भी दर्ज नहीं है। तीनों के खिलाफ पुलिस ने भारतीय पासपोर्ट एक्ट और दूसरी अन्य धाराओं में मामला दर्ज किया है। गौरतलब है कि हैदराबाद के विभिन्न हिस्सों में लगभग 3000-4000 रोहिंग्या के रहने का अनुमान है।
अब अराजकता पैदा कर कुछ नेता भारत को अस्थिर करना चाहते हैं। अभी खुलासा हुआ है कि कश्मीर के अलगाववादियों व पत्थरबाजों से से नक्सलवादियों के संपर्क हैं। यह कोई आश्चर्य ेकी बात नही है।
सर्वाधिक आश्चर्य की बात तो यह है कि इस देश के विरूद्ध षडयंत्र में शहरी अराजकतावादी केजरीवाल तथा राहुल गांधी व उनकी पार्टियांं भी शामिल हैं।
आज ही अपने आपको एनार्किस्ट घोषित कर चुके केजरीवाल ने कहा है कि यदि उनके अनुसार केन्द्र सरकार तथा एलजी नहीं चले और केजरीवाल जैसा स्वयं सुप्रीम कोर्ट के आदेश की समीक्षा करते हैं उसके अनुसार न चले तो पूरे भारत में अराजकता फैलेगी।
हमें सावधान रहना है कि भारत की एकता बनी रहे और संविधान के विरूद्ध कोई कार्य न हो।