पिछले 15 दिनों में जिले में औसत साढ़े 15 इंच से ज्यादा बारिश का ही नतीजा है कि सैकड़ों एकड़ में लगी सब्जियों की फसल तबाह हो चुकी है। इन फसलों को राजस्व विभाग ने नुकसान की श्रेणी में भी नहीं रखा है। किसानों से कोई पूछने भी नहीं गया कि उनकी फसलों का क्या हुआ। तखतपुर के बाद मस्तूरी और बिल्हा इलाके में सब्जियों की खेती करने वाले किसानों की हालत बेहद खराब होने लगी है। कई किसानों के खेतों में अभी भी पानी भरा है। हालांकि कुछ किसान दूसरी बार फसल लगाने की तैयारी में जुट गए हैं लेकिन यह तय है कि बारिश और बाढ़ ने जो तबाही मचाई है, उससे सब्जियों का रकबा घटेगा और इसकी मार आम आदमी को भी झेलनी होगी, क्योंकि उत्पादन कम होने पर मांग बढ़ेगी और इससे कीमत में भी इजाफा होगा और घरों का बजट बिगड़ेगा। अभी भी कीमत ज्यादा ही है। भास्कर रिपोर्टर ने मंगला, लोखंडी, तुर्काडीह, निरतु, घुटकू गांवों में जाकर हालात का जायजा लिया।
तुर्काडीह के किसान भागवत प्रसाद ने बताया कि पहले कोरोना के कारण किसानों को सब्जियों की सही कीमत नहीं मिली। लगातार हुई बारिश से बाड़ियों में पानी जमा हो गया और नुकसान हुआ। श्यामलाल केंवट ने बताया कि अब सब्जी की खेती से किसानों का मोहभंग होने लगा है। लागत अधिक आती है और जब मुनाफे का समय आता है तो प्राकृतिक आपदा से नुकसान हो जाता है।
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