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सरकारी स्कूलों ने भी छात्रों पर फीस के लिए दबाव बनाना शुरू कर दिया है।

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निजी स्कूलों में फीस वसूली से प्रेरणा लेकर बंद सरकारी स्कूलों ने भी छात्रों पर फीस के लिए दबाव बनाना शुरू कर दिया है। शिक्षण शुल्क के बजाय ऐसे स्कूलों ने छात्रों पर आर्थिक बोझ डालने के कई रास्ते निकाल लिए हैं। शाला विकास समिति के नाम पर या खेलकूद, स्काउट, साइंस, रेडक्रास फंड, परीक्षा और नामांकन वगैरह के लिए हजार से 12 सौ रुपए तक लिए जाने की सूचना है। सरकारी स्कूलों में यह वसूली केवल राजधानी ही नहीं, जिले के कई स्कूलों में की गई है। नवमीं से बारहवीं तक यानी आमतौर से हायर सेकंडरी के छात्रों पर ही आर्थिक बोझ डाला गया है। कई स्थानों से यह बात सामने आई कि सरकारी स्कूलों में फीस वसूली का यह मामला सिर्फ रायपुर जिले तक ही सीमित नहीं है, बल्कि राज्य के कई जिलों में ऊंची कक्षाओं के छात्रों से अलग-अलग तरह के शुल्क लिए जा रहे हैं। इस संबंध में कुछ छात्रों के अभिभावकों ने चर्चा में बताया कि एडमिशन के साथ ही यह फीस ली गई है। इसमें परीक्षा व नामांकन शुल्क के अलावा शाला विकास समिति, गरीब छात्र, साइंस, स्काउंट, रेडक्रास समेत अन्य शुल्क शामिल हैं। स्कूल का प्रबंधन उनसे साफ कह रहा है कि फीस देनी होगी, अन्यथा आगे की पढ़ाई नहीं हो पाएगी। गौरतलब है, शहरी इलाकों में निजी स्कूलों की फीस का बोझ नहीं उठा पाने वाले की आमतौर से सरकारी स्कूलों की शरण लेते हैं, या फिर ग्रामीण इलाकों में वि स्कूलों में अधिकांश छात्र निम्न वर्ग से आते हैं। कोरोना के दौर में जहां कई परिजन आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं। ऐसे में सरकारी स्कूलों से उन पर पड़नेवाला फीस का दबाव भारी पड़ रहा है। कोरोना काल में स्कूलों में पढ़ाई नहीं हो रही है। पिछले कुछ समय से फीस को लेकर अलग-अलग मामले सामने आ चुके हैं, लेकिन यह सभी प्राइवेट स्कूलों से संबंधित थे, जिन्होंने फीस के लिए पैरेंटस पर दबाव बनाया गया। इसकी शिकायत शिक्षा विभाग के अफसरों तक भी पहुंची है। सरकारी स्कूलों में ऐसा नहीं हुआ था, लेकिन अब वहां से भी ऐसी शिकायतें आने लगी हैं। फर्क सिर्फ इतना है कि प्राइवेट स्कूलों में प्रत्येक माह के अनुसार फीस ली जाती है, जबकि सरकारी स्कूलों में साल में एक बार फीस लेते हैं। इस संबंध में जिला शिक्षा अधिकारी जीआर चंद्राकर ने कहा कि माध्यमिक शिक्षा मंडल की ओर से नामांकन व परीक्षा के लिए जो फीस तय है, वही फीस छात्रों से ली जा रही है। इसकेे अलावा कोई सरकारी स्कूल अगर किसी तरह का शुल्क ले रहा है तो गलत है, उसके खिलाफ कार्रवाई करेंगे।