एक से सात सितंबर तक मनाए जाने वाले राष्ट्रीय पोषण सप्ताह का मकसद खुद विभाग के ही जिम्मेदार अफसर नहीं पूरा होने देंगे। अनाज में पोषण की बात तो छोड़िए यहां तो उसकी बर्बादी पर पूरा विभाग तुला है। सरकारी अनाज के साथ क्या किया जाता है, इसका एक और कारनामा सामने आया है। सरकार के वेयरहाउस में ही 2 साल से ज्वार का हजारों क्विंटल स्टॉक समर्थन मूल्य पर खरीद कर रख दिया गया था, जिसे खुद सरकार-अफसर सब भूल गए।
नौबत यह आ गई है कि 50 हजार क्विंटल ज्वार के स्टॉक में घुन लग गया है। इसके रैक में तीन परतों की बोरियों में ज्वार की बजाए आटा हो गया। सड़ने का सिलसिला भी जारी है। दो साल में किसी ने ज्वार के स्टॉक की चिंता ही नहीं की। अब जब राशन वितरण प्रणाली में ज्वार का वितरण हो रहा है तब भी एमपी स्टेट सिविल सप्लाई कार्पोरेशन के अफसर जागे नहीं हैं। इस खराब हुए अनाज का हिसाब कौन देगा, इसका जवाब किसी के पास नहीं है। दो साल पहले राज्य सरकार ने समर्थन मूल्य पर ज्वार और बाजरा की खरीदी की थी। ग्वालियर सहित शिवपुरी, गुना, अशोकनगर व आसपास के जिलों को भी स्टॉक दिया गया था। अगस्त 2020 के महीने में राज्य सरकार ने ज्वार के स्टॉक को सार्वजनिक राशन वितरण प्रणाली में एक रुपए किलो में वितरित किए जाने का आदेश दिया था। जिले के वेयरहाउसों में ज्वार का एक स्टॉक एक साल पुराना भी है, जिसमें से अगस्त माह में राशन दुकानों पर वितरण कर दिया गया और अभी भी वितरण जारी है। अब दो साल पुराने स्टॉक की शुरुआत होने वाली है जो कि दो साल से ऐसे ही पड़ा रहने के कारण घुन और सड़ रहा है। एमपी स्टेट सिविल सप्लाई कार्पोरेशन के पास रखरखाव से लेकर राशन की दुकानों पर खाद्यान्न पहुंचाने का जिम्मा है।
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