यह दावा क्लिनिकल ट्रायल्स के बाद किया गया। इसमें कहा गया है कि स्टेरॉयड दवाएं कोरोना संक्रमण के गंभीर मरीजों के लिए जिदंगी को बचा सकती हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने भी इसकी पुष्टि की है। साथ ही इस्तेमाल पर एडवाइजरी जारी की।
डब्ल्यूएचओ ने सात अंतरराष्ट्रीय ट्रायल के एनालिसिस करने के बाद कहा कि कॉर्टिकोस्टेरॉइड दवाएं कोरोना के गंभीर रूप से बीमार मरीजों की मौत के जोखिम को 20% तक कम कर सकती हैं। डब्ल्यूएचओ ने बताया कि स्टेरॉयड का इस्तेमाल सिर्फ गंभीर रूप से कोरोना संक्रमितों पर किया जा सकता है। शुरुआती लक्षण वाले मरीजों के इलाज में इसके इस्तेमाल से बचना चाहिए।
डब्ल्यूएचओ ने बताया कि 1700 कोरोना मरीजों पर इन दवाओं का इस्तेमाल किया गया। इनसे पता चला कि स्टेरॉयड दवाओं से कोरोना मरीजों के स्वास्थ्य में सुधार आया। दरअसल, डॉक्टर डेक्सामेथासोन, हाइड्रोकार्टिसोन और मिथाइलप्रेडिसोलोन जैसी स्टेरॉयड दवाएं डॉक्टरों की ओर से मरीज के शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने, सूजन और दर्द को कम करने के लिए दी जाती हैं।
डब्ल्यूएचओ की क्लिनिकल केयर की प्रमुख जेनेट डियाज ने बताया, हम गंभीर मरीजों के इलाज में इन दवाओं के इस्तेमाल की सिफारिश करते हैं। उन्होंने कहा कि ट्रायल ब्रिटेन, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, स्पेन और अमेरिका में किया गया। डियाज के मुताबिक, अगर हमने एक हजार गंभीर मरीजों को कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स दी तो 87 को बचाने में कामयाब हुए।
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