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मध्यप्रदेश के टीकमगढ़ स्थित डूडा स्कूल परिसर में पड़े पत्थर बच्चों को रोज पाठ पढ़ाते है

स्कूल के प्रधानाध्यापक संजय जैन ने इन पत्थरों और आसपास की दीवारों पर पूरा पाठ्यक्रम ही उतार दिया. नतीजा. आते-जाते बच्चे इन्हें देखते हैं तो सबकुछ सीख गए. यहीं वजह है कि शिक्षक जैन को इस बार राष्ट्रपति सम्मान के लिए चुना है. उन्हें शिक्षक दिवस पर ये सम्मान दिया जाएगा. 

बताया जाता है कि संजय डूडा के प्राथमिक स्कूल में 12 साल से पदस्थ है. उन्हें 2018 में राज्यपाल सम्मान से भी सम्मानित किया जा चुका है. संजय ने स्कूल जो नवाचार किए उनमें पाषाण, पौधरोपण, चौपाल, मासिक कलेंडर, गणित संक्रियाएं, लंगड़ी कूंद सहित कई गतिविधियां शामिल हैं. अब शिक्षक संजय जैन ने यह उपलब्धि हासिल की है, उनकी कुछ अलग करने की चाह ने ही उन्हें राह दिखाई.

हालांकि कोरोना काल के चलते संभवत: उन्हें यह सम्मान बेबीनार के माध्यम से ही जिला स्तर पर दिया जाएगा. गौरतलब है कि टीकमगढ़ जिले में पहला राष्ट्र्रीय पुरस्कार 1966 में प्रधानाध्यापक प्राइमरी स्कूल पृथ्वीपुर के स्वर्गीय मोतीलाल त्रिवेदी को मिला. इसके बाद 1972 में प्रधानाध्यापक प्राइमरी स्कूल जतारा स्वर्गीय परशुराम दीक्षित बैरवार जतारा, 1976 में प्रधानाध्यापक कन्या माध्यमिक स्कूल टीकमगढ़ की सावित्री देवी पटैरिया और 2001 में वरिष्ठ अध्यापक शासकीय उत्कृष्ट विद्यालय टीकमगढ़ के राजेंद्र मिश्रा को यह सम्मान मिल चुका है.

इस बार प्रधानाध्यापक प्राइमरी स्कूल डूडा के संजय जैन को राष्ट्रीय सम्मान से सम्मानित किया जा रहा है. राष्ट्रीय पुरस्कार से पुरस्कृत इन शिक्षकों को 50 हजार रुपए नकदए दो अग्रिम वेतन वृद्धिए रेलवे के किराए में छूटए बच्चों को केंद्रीय विद्यालय में एडमिशन सहित तमाम सुविधाएं दी जाती है