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भारत और रूस के बीच नौसेनिक अभ्यास बंगाल की खाड़ी में

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भारत और रूस के बीच ग्यारहवीं बार आयोजित हो रहा द्विवार्षिक संयुक्त नौसैनिक अभ्यास इन्द्र नेवी बंगाल की खाड़ी में 4 से 5 सितंबर तक चलेगा. इस संयुक्त नौसैनिक अभ्यास की शुरुआत 2003 में हुई थी. इसने दोनों देशों की नौसेनाओं के बीच दीर्घकालिक रणनीतिक संबंधों को प्रमाणित किया है

कोविड महामारी के कारण लगाए गए प्रतिबंधों के मद्देनजर इस बार यह अभ्यास केवल समुद्री क्षेत्र तक सीमित रखा जाएगा. संयुक्त अभ्यास में भारतीय नौसेना का प्रतिनिधित्व निर्देशित मिसाइल विध्वंसक रणविजय, स्वदेशी फ्रिगेट सह्याद्री और फ्लीट टैंकर शक्ति करेंगे. इस अवसर पर इनके हेलीकॉप्टर भी इनके साथ होंगे. फ्रिगेट सह्याद्री को वर्तमान में एमटी न्यू डायमंड को सहायता प्रदान करने के काम पर लगाया गया है. एमटी न्यू डायमंड में श्रीलंका के तट पर आग लग गई थी.

रूसी संघ की नौसेना का प्रति​निधित्व व्लादिवोस्तोक में स्थित प्रशांत क्षेत्र के नौसेनिक बेड़े के विध्वंसक एडमिरल विनोग्रादोव, विध्वंसक एडमिरल ट्रिब्यूट्स और फ्लीट टैंकर बोरिस बुटोमा द्वारा किया जाएगा. इस अभ्यास का उद्देश्य अंतर-क्षमता और दोनों नौसेनाओं द्वारा अपनाई जाने वाली सर्वोत्तम प्रथाओं के बारे में आपसी समझ को बढ़ाना तथा उनमें सुधार लाना है.

इसमें जमीन और हवा में विमान रोधी मारक क्षमता का अभ्यास, गोले दागे जाने का अभ्यास, हेलीकॉप्टर संचालन, जहाजों पर तैनात कर्मियों के लिए काम करने के नए तौर तरीके इजाद किया जाना आदि शामिल होंगे. ऐसा पिछला अभ्यास विशाखापत्तनम में दिसंबर 2018 में आयोजित किया गया था.

इन्द्र नेवी-20 संयुक्त नौसैनिक अभ्यास से दोनों नौसेनाओं के बीच आपसी विश्वास और सहयोग को बढ़ाने में मदद मिलेगी और साथ ही दोनों देशों के बीच लंबे समय से चले आ रहे मैत्रिपूर्ण संबंध और मजबूत होंगे.

यह नौसेनिक अभ्यास बंगाल की खाड़ी में ऐसे समय आयोजित किया जा रहा है जब द्विपक्षीय सहयोग और परस्पर हितों पर चर्चा करने के लिए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, रूस के रक्षा मंत्री जनरल सर्गेई शोइगू के निमंत्रण पर 3 सितंबर से मॉस्को की यात्रा पर हैं.

यह संयुक्त नौसैनिक अभ्यास नई संभावनाओं, संचालन और भागीदारी के स्तर में वृद्धि के नजरिए से समय के साथ परिपक्व होता गया है. इस अभ्यास का मूल उद्देश्य दोनों नौसेनाओं द्वारा पिछले कई वर्षों में हासिल की गई अंतर-संचालन दक्षता को और मजबूत करना है और साथ ही बहुआयामी समुद्री अभियानों के लिए आपसी समझ और प्रक्रियाओं को विस्तार देना है. इस बार के संयुक्त अभ्यास में समुद्री परिचालन के क्षेत्र में व्यापक और विविध गतिविधियों को शामिल किया गया है.