कोर्ट ने माना कि याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट के समक्ष ऐसा कोई तथ्य नहीं रखा, जिसके आधार पर कहा जा सके कि इस मामले में जांच सही तरीके से नहीं हुई है. एसआइटी ने कोर्ट की निगरानी में जांच की है और समय-समय पर प्रोग्रेस रिपोर्ट भी पेश की है. ऐसी स्थिति में ऐसा कोई तथ्य कोर्ट के समक्ष नहीं है, जिसे आधार बनाकर जांच सीबीआई को सौंपी जाए.
हनी ट्रैप मामले में सात अलग-अलग याचिकाएं हाई कोर्ट में दायर हुई थीं. इन सभी में मामले की जांच एसआइटी के हाथ से लेकर सीबीआई को सौंपने की मांग की गई थी. 18 अगस्त को कोर्ट ने पूरे मामले में सभी पक्षों की बहस सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था. इसे शनिवार 5 सितम्बर की दोपहर जारी किया गया. 27 पेज के फैसले में कोर्ट ने सभी याचिकाओं का निराकरण करते हुए स्पष्ट कर दिया है कि जांच सीबीआई को नहीं सौंपी जाएगी.
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