Lok Shakti

Nationalism Always Empower People

Editorial :- नीतीश ने दिया बड़ा झटका राहुल गांधी और कांग्रेस को या बीजेपी को या देंगे खुद को

Default Featured Image

आज जनता दल युनाईटेड की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक दिल्ली में समाप्त हुई। उसमें कुछ निर्णय लिये गये। उन निर्णयों को विभिन्न समाचार पत्रों ने अलग-अलग प्रकार से  अभिव्यक्त किया है। कुछ समाचार पत्रों में के अनुसार नीतीश ने भाजपा को झटका दिया है। अन्य समाचार पत्रों के अनुसार उन्होंने एनडीए के साथ रहने का निर्णय लिया है। वहीं कुछ समाचार पत्रों के अनुसार वे अनिर्णय की स्थिति में हैं।
कुछ समाचार पत्रों के अनुसार जेडीयू ने राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में २०१९ लोकसभा चुनाव के पूर्व इसी वर्ष के अंत में विधानसभा के चुनाव हो रहे हैं उनमें वे भाजपा से अलग लड़ेगी। इस प्रकार से उन समाचार पत्रों के अनुसार जेडीयू ने भाजपा को झटका दिया है।
परंतु मेरे अनुसार जेडीयू का उक्त निर्णय भाजपा को सहायक होगा। क्योंकि इन प्रांतों में जेडीयू का कोई विशेष प्रभाव नहीं है। वहॉ वह  अपनी उपस्थिति दर्ज कराकर भाजपा विरोधी कांग्रेस के ही वोट काटेगी।
जिस प्रकार से हमने देखा कि उक्त प्रांतों के कांगे्रस अध्यक्ष तथा अन्य नेता बसपा से समझौता करने के लिये लालायित रहे थे क्योंकि उन्हें डर रहा है कि  बसपा के साथ कांग्रेस का न होने से कांग्रेस को नुकसान उठाना पड़ेगा। यदि यह सत्य है तो यह भी सत्य है कि जेडीयू यदि अलग से चुनाव लड़ेगी तो उसका चुनाव भाजपा को होगा और नुकसान कांग्रेस को।
एक और फैसला जेडीयू का है असम में नागरिकता संशोधन बिल का विरोध करने का। यह निर्णय वह अपने मुस्लिम वोट बैंक को खुश करने के लिये की है। इससे बीजेपी को कुछ नुकसान होने वाला नहीं है।
जेडीयू की तरफ से उनके नेता त्यागी तथा अन्य नेताओं के जो विरोधाभाषी वक्तव्य आते रहे हैं उससे जेडीयू की ईमेज को बहुत नुकसान पहुंचा है। इसलिये जनता दल यूनाईटेड पार्टी ने रविवार को राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में फैसला लिया है कि वह अपने अध्यक्ष और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनावों सहित विभिन्न राजनीतिक मुद्दों पर पार्टी का रुख तय करने के लिए अधिकृत किया है।
सुभाष पिपालानी ने नवभारत टाईम्स में ठीक ही कमेंट किया है कि अगर अब जनता दल युनाईटेड ने भाजपा को छोड़ दिया तो वह न घर का न घाट का रहेगा।
मोदी के वन नेशन, वन इलेक्शन के प्रस्ताव पर भी जेडीयू ने सहमति जताई है। इसके साथ ही जेडीयू की कार्यकारिणी में ये भी निर्णय लिया गया है कि वह आगामी २०१९ को लोकसभा चुनाव एनडीए में रहते हुुए भाजपा के साथ रहकर लडेंग़ी।
जेडीयू का रूख थोड़ा नरम थोड़ा गरम होते रहा है। यह सीटों की बार्गनिंग तक सीमित है यदि इसके अलावा अन्य मतलब से यह हुआ तो वह अपना खुद का ही नुकसान करेगी।
कैसे निकलेगा सीट शेयरिंग के मुद्दे का हल?
जेडीयू के एक वरिष्ठ नेता ने फ़स्र्टपोस्ट से बातचीत के दौरान बताया कि ‘अब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह से मुलाकात १२ जुलाई को तय हो गई है, इसका मतलब साफ है कि जेडीयू-बीजेपी के बीच रिश्तों और गठबंधन के हर पहलू पर इस दिन चर्चा होगी.Ó
जेडीयू सूत्रों के मुताबिक, कार्यकारिणी की बैठक में सीट शेयरिंग के मुद्दे पर कोई चर्चा तो नहीं हुई, लेकिन, एक दिन पहले पार्टी पदाधिकारियों की बैठक में जेडीयू ने तय किया है कि ‘बिहार की 40 में से कम-से-कम 17 सीटों पर वो अपना उम्मीदवार खड़ा करेगी.Ó यानी बीजेपी नेताओं के साथ बैठक में जेडीयू इन मुद्दों को उठाने की तैयारी में है. नीतीश ने किया साफ – क्चछ्वक्क से बनी रहेगी दोस्ती, जेडीयू ने 17-17 सीट शेयरिंग का दिया फॉर्मूला। ६ सीटें अन्य सहयोगी के लिये।
एनडीए में बीजेपी, एलजेपी और आरएलएसपी के बाद अब जेडीयू शामिल होने के बाद सीट बंटवारा एक बड़ी चुनौती है. इस संबंध में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह 12 जुलाई को पटना जा रहे हैं, जहां वह नीतीश कुमार के साथ बैठक करेंगे. इससे पहले 7 जुलाई को नीतीश कुमार पासवान के साथ दिल्ली में मुलाकात कर चुके हैं.
पासवान से लेकर जेडीयू तक ये साफ कर चुकी है कि वह 2019 का चुनाव एनडीए में रहकर ही लडऩे वाली हैं. ऐसे में मौजूदा स्थिति के लिहाज से 40 सीटें 4 दलों में किस प्रकार बंट पाती हैं, ये देखने वाली बात होगी. इससे ये तो साफ है कि 2009 के फॉर्मूले का रास्ता तलाश रही जेडीयू की मुराद शायद ही पूरी हो सके. शायद यही वजह है कि राजनीतिक हल्कों में ये कयास भी लगाए जा रहे हैं कि कहीं नीतीश कुमार कुशवाहा और पासवान के साथ मिलकर मैदान में न उतर जाएं या वो कोई और ट्रेन न पकड़ लें.
ऐसा करके जनता दल यूनाईटेड न इधर की  रहेगी ना उधर की अर्थात न घर की रहेगी न घाट की।