अंचल में धान की फसल की इस बार बंपर पैदावार पर पानी फिरता नजर आ रहा है। क्योंकि धान की फसल में शीथ व्लाइट और वेक्टीरियल लीफ व्लाइट रोग का प्रकोप शुरू हो गया है। वहीं खेतों में पानी भरा होने के बाद भी अचानक सूख रहे पौधों के चलते किसानों में हड़कंप मच गया है। ऐसे में किसान बाजार से कई तरह की दवाइयां मिलाकर उसका स्प्रे करने में जुटे हैं। वहीं फसल को रोग से बचाने के लिए कृषि विभाग के वैज्ञानिकों की टीम भी गांवों में भ्रमण कर किसानों को सलाह दे रही है। इसके अलावा ग्वालियर में कंट्रोल रूम भी स्थापित किया गया है।
दरअसल इस साल बारिश तो खास नहीं हुई है, लेकिन डैम से मिले पर्याप्त पानी और बाद में कुछ दिनों हुई बारिश के चलते किसानों ने धान की रोपनी की है। डबरा व भितरवार अंचल में करीब 70 हजार हेक्टेयर से अधिक जमनी पर धान की फसल खड़ी हुई है। यही वजह है कि इस बार धान की फसल के बंपर उत्पादन की उम्मीद लग रही थी। लेकिन अचानक मौसम में आई गर्माहट के चलते फसल में रोग लगना शुरू हो गए हैं।
वर्तमान में धान के पौधों में शीथ व्लाइट और वेक्टीरियल लीफ व्लाइट रोग का प्रकोप देखने को मिल रहा है। इससे धान के पौधे अचानक से सूखने लगे हैं। जिस वजह से किसानों की चिंताएं बढ़ने लगी हैं। कृषि विभाग के अधिकारियों के अनुसार रोग के कारण दस से पंद्रह प्रतिशत तक उत्पादन प्रभावित होने की संभावना है। साथ ही यदि रोग का सही समय पर नियंत्रण नहीं किया गया तो उत्पादन पर इससे भी ज्यादा असर पड़ सकता है।
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