सरकार ने कोरोना की घर-घर जाकर जांच बंद कर दी है, लेकिन यह स्पष्ट किया है कि अब जो व्यक्ति फीवर क्लीनिक या कोविड के लिए अधिकृत हॉस्पिटल में सैंपल देकर टेस्ट कराना चाहेगा, उसे शुल्क नहीं देना होगा। इसे लेकर भ्रम की स्थिति थी, जिसे मंगलवार को कैबिनेट बैठक के बाद गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने स्पष्ट किया। उन्होंने बताया कि टेस्ट अभी भी फ्री है।
केंद्र की आयुष्मान योजना के तहत जिन अस्पतालों में इलाज हो रहा है, वहां पैसा नहीं लगेगा। जहां आयुष्मान लागू नहीं है, तो वहां मरीजों को बिल दिया जाएगा। वह स्वेच्छा से जितना देना चाहे दे सकेगा। वहीं राजधानी में अब निजी अस्पताल और नर्सिंग होम कोरोना का इलाज कर सकेंगे। संबंधित मरीज को स्वयं के व्यय पर इलाज करवाना होगा। कलेक्टर अविनाश लवानिया ने कहा कि निजी अस्पताल कोरोना वार्ड बना सकते हैं। उन्हें कोविड-19 में जारी गाइडलाइन का पालन करना अनिवार्य होगा।
राजधानी में 242 नए संक्रमित मिलने के साथ ही कोरोना मरीजों का कुल आंकड़ा 13082 हो गया है। इनमें 6052 मरीज न तो किसी संक्रमित के संपर्क में आए और न ही इनकी कोई कॉन्टैक्ट हिस्ट्री है। यह खुलासा स्वास्थ्य मंत्रालय की भोपाल कोविड पेशेंट कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग रिपोर्ट से हुआ है। इसके मुताबिक 13082 मरीजों के संपर्क में 59374 थे। इनमें 50923 सिम्टोमैटिक थे। जबकि 8884 लोग हाईरिस्क श्रेणी के थे।
स्वास्थ्य संचालनालय के अफसरों ने बताया कि जिन 6052 मरीजों की कॉन्टैक्ट हिस्ट्री नहीं मिल रही, उनसे शहर में हजारों लोगों को संक्रमण फैसले की संभावनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता है।
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