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Editorial :- अलगाववाद और कट्टरपंथ के सहारे सत्ता प्राप्ति के लिये अब कांगे्रस द्वारा ईस्लामिक रिपब्लिक ऑफ इण्डिया निर्माण का षडयंत्र

राहुल गांधी का जन्म इटली में क्रिस्चियन फैमिली में हुआ। वहीं वेटिकन सिटी है। यही कारण है कि क्रिस्चियन मिशनरियों का साथ राहुल गांधी का हाथ है। गुजरात विधानसभा चुनाव के समय ईसाइ पादरी ने फतवा निकाला था कि राष्ट्रवादी पार्टी भाजपा को वोट नहीं दिया जाये। इसी प्रकार से कर्नाटक विधानसभा चुनाव के समय भी क्रिस्चियन आर्कबिशप ने फतवा जारी किया था कि भाजपा को वोट न दिया जाये।
इसी प्रकार से कट्टरपंथी और अलगाववादियों का भी साथ कांग्रेस के हाथ में है। कांगे्रस हुर्रियत की समर्थक है। पाकिस्तान की मदद से वह भारत को अस्थिर कर सत्ता हथियाने का स्वप्र देख रही है।
इसी षडयंत्र के तहत आज कांग्रेस ने मुसलमानों के लिये अलग कोर्ट बनाये जाने शरियत न्यायालयों की स्थापना की साजिश कट्टरपंथी मुस्लिम पसर्नल ला बोर्ड ने की है उसका समर्थन कांग्रेस ने किया है।
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ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड अब इस्लामी कानूनों के अनुरूप मुद्दों को हल करने के लिए देश के सभी जिलों में दारुल-कजा यानी शरीयत अदालत खोलने की योजना बना रहा है। इस प्रस्ताव को चर्चा के लिए 15 जुलाई को दिल्ली में होने वाली मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की बैठक में पेश किया जाएगा। लॉ बोर्ड को देश में मुस्लिमों का सबसे बड़ा संगठन माना जाता है।
वहीं इसको लेकर भाजपा से लेकर सपा तक मुस्लिम लॉ बोर्ड के इस फैसले के खिलाफ खड़े हैं। भाजपा प्रवक्ता मीनाक्षी लेखी ने भी इस मामले पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड पर वार करते हुए कहा ‘आप धार्मिक मामलों पर चर्चा कर सकते हैं लेकिन इस देश में न्यायपालिका का महत्व है। देश के गांवों और जिलों में शरिया अदालतों का कोई स्थान नहीं है। देश की अदालतें कानून के अंतर्गत कार्य करती हैं। हमारा देश इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ इंडिया नहीं है।Ó
ये है मामला – गौरतलब है कि ऑल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआइएमपीएलबी) ने कहा था कि वो वकीलों, न्यायाधीशों और आम लोगों को शरिया कानून से परिचित कराने के लिए कार्यक्रमों को और तेज करने पर विचार करेगा।
राहुल गांधी जब से कांग्रेस के अध्यक्ष बने हैं तब से वे खुलकर बहुरूपीये ब्राम्हण का रूप धरकर हिन्दुओं को विभाजित करने में लगे हुए हैं और कट्टरपंथ और अलगाववाद के सबसे बड़े समर्थक बन गये हैं। ब्रिटिश के जैसे फूट डालो और राज करो की नीति पर चलते हुए वे येन-केन-प्रकारेण प्रधानमंत्री बनने का सपना संजोये हुए हैं।
हम आशा करते हैं कि वे प्रधानमंत्री बनने का सपना जरूर देंखे, परंतु भारत की एकता को भंग करने का प्रयास न करें।