15 अगस्त 1947 को भारत आजाद हुआ। इससे पहले ही भारत का संविधान बनाने के लिए संविधान सभा बन चुकी थी। उस समय देश में कई भाषाएं थी। इस वजह से राजभाषा क्या बने, यह तय करना एक चुनौती थी। तब संविधान सभा ने लंबी बहस के बाद 14 सितंबर 1949 को हिंदी को राजभाषा का दर्जा देने का फैसला किया।
संविधान के अनुच्छेद 343 (1) में इसका उल्लेख है। इसके अनुसार भारत की राजभाषा ‘हिंदी’ और लिपि ‘देवनागरी’ है। इसी को याद करते हुए 1953 से 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाने की शुरुआत हुई। हिंदी को राजभाषा का दर्जा देने को लेकर गैर-हिंदी भाषी लोगों का विरोध था।
इस वजह से अंग्रेजी को भी आधिकारिक भाषा बनाया गया। आज, हिंदी दुनिया की तीसरी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है। हमारे देश में 77 प्रतिशत लोग हिंदी बोलते, समझते और पढ़ते हैं
लॉर्ड विलियम बैंटिक को भारत में गवर्नर-जनरल रहते हुए किए गए आर्थिक और सामाजिक सुधारों के लिए जाना जाता है, लेकिन उनकी नीतियों से भारत को नुकसान भी उठाना पड़ा था। लॉर्ड बैंटिक का जन्म 14 सितंबर 1774 को हुआ। वे 1828 में बंगाल के गवर्नर बने और 1833 से 1835 तक भारत के गवर्नर जनरल रहे। इस दौरान उन्होंने भारतीय न्याय व्यवस्था में सुधार के लिए बहुत कदम उठाए।
पहला बड़ा कदम था, न्याय व्यवस्था से पारसी को हटाकर उसकी जगह अंग्रेजी को लागू करना। साथ ही हायर एजुकेशन में अंग्रेजी उन्होंने ही दाखिल की, जिसने आगे चलकर कई भारतीयों के लिए विदेश में जाकर पढ़ने का रास्ता खोला। इसके अलावा, एक और कदम उन्होंने उठाया, वह था सती प्रथा का अंत। साथ ही उन्होंने मानव बलि, अनचाहे बच्चे की हत्या और ठगी खत्म करने के लिए महत्वपूर्ण प्रयास किए।
कई विद्वान यह भी कहते हैं कि लॉर्ड बैंटिक ने भारत में पश्चिमीकरण की शुरुआत की और कहीं न कहीं यही 1857 के स्वतंत्रता संग्राम का कारण बना।
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