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Editorial :- राहुल गांधी व सेक्युलर बिग्रेड चुप क्यों? मिशनरी ऑफ चेरिटी द्वारा नवजात शिशुओं की ब्रिकी

क्या किसी ने सुना है केजरीवाल ने कभी सोनिया गांधी के  विरोध में एक शब्द भी कहा हो? उसका कारण यह है कि केजरीवाल व मनीष सिसोदिया के एनजीओ को सोनिया गांधी के जन्मस्थान इटली के गांव वाली फोर्ड फाउंडेशन द्वारा सहायता मिलती रही है। क्यों, यह सहज ही जाना जा सकता है।
अभी इस हफ्ते मीडिया में एक विशेष चर्चा रही है कि मिशनरी ऑफ चैरिटी द्वारा नवजात शिशुओं को पचास हजार से एक लाख रूपये तक में बेचा जा रहा है झारखंड में।
इसके अलावा और सनसनीखेज समाचार इस हफ्ते प्रकाशित होते रहे हैं कि केरल में चार पादरी मिशनरी की ही नन से रेप के अपराध में गिरफ्तार हुए हैं। इस प्रकार के अनेक समाचार समय-समय पर प्रकाशित होते रहे हैं।
उक्त घिनौनी अमानवीय हरकतों के अलावा क्रिस्चियन मिशनरियां और उनके आर्कबिशप तथा पादरी भारत विरोधी गतिविधियों में भी संलग्र रहे हैं।
भारत के अंध्रुनी मामलों में भी हस्तक्षेप करते रहे हैं तथा राजनीति को भी धर्म से जोडऩे के लिये फतवा जारी किये हंै। उदाहरण स्वरूप विधानसभा चुनाव के समय वहॉ के पादरी ने फतवा जारी किया था कि राष्ट्रवादी भारत की शक्तियों को हराने लिये वोट करें अर्थात कांग्रेस को वोट दें
इसी प्रकार का फतवा कर्नाटक विधानसभा के चुनाव के समय भी आर्कबिशप द्वारा जारी हुआ था और उसका समर्थन वेटिकन द्वारा किया गया था।
झारखंड की राजधानी रांची में सेंट टेरेसा द्वारा शुरू की गई संस्था मिशनरीज ऑफ चैरिटी में नवाजात बेचने का रैकेट सामने आया है. जांच में ये रैकेट पकडऩे वाली चाइल्ड वेलफेयर कमेटी (ष्टङ्खष्ट)ने मिशनरीज ऑफ चैरिटी की कर्मचारी ने संस्था के संचालक के खिलाफ केस दर्ज करवाया है.
कैसे पकड़ा गया…दरअसल मिशनरी की कर्मचारी अनिमा इंदवार एक अविवाहित गर्भवती लड़की के नवजात को यूपी के एक दंपती को बेचा था. कुछ दिनों बाद उस बच्चे को उनसे वापस ले लिया गया. जिसके बाद दंपती ने  मिशनरीज द्वारा चालाए जा रहे रैकेट के बारे में ष्टङ्खष्ट को अवगत कराया था.
मुख्यमंत्री रघुवर दास ने दो टूक निर्देश दिये कि नवजात शिशुओं की खरीद बिक्री तथा गर्भवती महिलाओं के शोषण जैसे काम करने वाली स्वयं सेवी संस्थाओं को चिन्हित कर उनके विरूद्ध कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाएगी.
झारखंड सचिवालय को यह जानकारी मिली है कि वर्ष 2015 से 2018 के बीच 450 महिलाएं विभिन्न मिशनरीज होम्स में सहारा के लिए आयी थीं. लेकिन सहारा देने के नाम पर बच्चो को बेच दिया गया. उन्हें गलत शपत पत्र भरवा लिया गया. और शपत पत्र के अनुसार बिन ब्याही मां अपने बच्चे पर दावा पेश नहीं कर सकती .
ईसाई मिशनरियों के उक्त अपराधों पर सेक्युलर बिग्रेड और राहुल गांधी चुप क्यों हैं?
जिस तरह से बच्चों की कीमत लगाई जा रही थी, ये 2-3 नन का काम नहीं हो सकता। दरअसल पूरी संस्था इसके लिए एक नेटवर्क की तरह काम करती है। मिशनरीज ऑफ चैरिटी के कामकाज पर नजर रखने वाले कुछ पत्रकार मदर टेरेसा का असली चेहरा सामने लाने की कोशिश कर चुके हैं, लेकिन अब तक लोग उन पर यकीन नहीं करते थे।
‘मिशनरीज ऑफ चैरिटीÓ की पोल खोलने वाली किताब को दबा दिया गया
भारतीय मूल के लेखक और फिजीशियन डॉक्टर अरूप चटर्जी ने सबसे पहले ये खुलासा किया था कि मदर टेरेसा दरअसल गरीब भारतीय परिवारों के बच्चों को पश्चिमी देशों में ले जाकर बेच रही हैं। उन्होंने इसकी पूरी जानकारी उन्होंने 2003 में आई अपनी किताब ‘मदर टेरेसा- द फाइनल वर्डिक्टÓ में दी है।
किताब में उन्होंने मदर टेरेसा के आश्रमों की हालत और वहां की गतिविधियों की पूरी जानकारी दी है। साथ ही उन्होंने बच्चे बेचने की घटनाओं के बारे में मीडिया से मदद लेने की कोशिश की थी, लेकिन ईसाई मिशनरी और ऊपर से मदर टेरेसा से जुड़ा मामला होने के कारण मीडिया ने उन पर चुप्पी साध ली। सरकार और पुलिस की तरफ से भी मदर टेरेसा और उनकी संस्था को खुली छूट मिली हुई थी।
2016 में अरूप चटर्जी ने ‘मदर टेरेसा- द अनटोल्ड स्टोरीÓ नाम से एक और किताब लिखी, जिसमें उन्होंने उन बच्चों के नाम तक लिखे हैं जिनको बिकते उन्होंने देखा। इसमें उन्होंने 1980 की एक घटना का ब्योरा दिया है, जब मदर टेरेसा ने 7 साल के बच्चे सोनातन धर को फर्जी दस्तावेजों के आधार पर बेल्जियम के एक कैथोलिक ईसाई परिवार को 1 लाख 25 हजार रुपये में बेच दिया था।
जबरन धर्मांतरण का सोनिया गांधी कनेक्शन और सेक्यूलर जमात का मौन समर्थन देश में धर्मांतरण का एक बड़ा नेटवर्क चलाया जा रहा है। इस कारण देश में हिंदू आबादी लगातार घट रही है। हिंदुओं के देश में ही आठ राज्यों में हिंदू अल्पसंख्यक हो गए हैं। इसमें सबसे बड़ी भूमिका ईसाई मिशनरियों की सामने आती रही है। आरोप है कि इन मिशनरियों को कांग्रेस पार्टी की अध्यक्ष सोनिया गांधी की शह है। अरुणाचल प्रदेश में तो उनका इंट्रेस्ट जगजाहिर है। दरअसल सोनिया गांधी पर बीते 10 साल में ईसाई मिशनरियों के जरिये खुद वहां पर रहने वाली आदिवासी जातियों का धर्मांतरण करवाने के आरोप हैं। अरुणाचल प्रदेश में 1951 में एक भी ईसाई नहीं था। 2001 में इनकी आबादी 18 प्रतिशत हो गई। 2011 की जनगणना के मुताबिक अब अरुणाचल में 30 फीसदी से ज्यादा ईसाई हैं। अरुणाचल में धर्मांतरण का सिलसिला 1984 में राजीव गांधी के प्रधानमंत्री बनने के बाद ही शुरू हो गया था। तब पहली बार सरकार ने वहां पर ईसाई मिशनरियों को अपने सेंटर खोलने की इजाज़त दी थी। माना जाता है कि राजीव गांधी पर दबाव डालकर खुद सोनिया ने वहां पर ईसाई मिशनरियों को घुसाया था।
देश में हिंदुओं को तो संविधान और सहिष्णुता का पाठ पढ़ाया जाता रहा है, लेकिन मुसलमानों और ईसाईयों के कुकर्मों पर हमेशा पर्दा डाल दिया जाता है। कठुआ कांड के बाद हाल में ही कई ऐसी घटनाएं हुई हैं जिससे ये बात साफ हो गई है कि ईसाई मिशनरियां मानव तस्करी के साथ दुष्कर्म का अड्डा बन गई हैं।
इससे भी खतरनाक बात यह है कि ये मिशनरियां भारत के अंधु्रनी मामलों में हस्तक्षेप कर भारत विरोधी ताकतों को इक_ा कर भारत को अस्थितर करने का प्रयास कर रही हैं और येन-केन-प्रकारेण बहुरूपीये राहुल गांधी को प्रधानमंत्री बनाने का षडयंत्र में सहायक बन रही हें। राष्ट्रवादी ताकतों को इससे सजग रहने की जरूरत हैं।