किसी भी निजी अस्पताल में कोरोना का इलाज करा सकेंगे सरकारी कर्मचारी; इलाज के खर्च का भुगतान सरकार करेगी उनके इलाज में लगने वाली टैबलेट फेविपिरावियर, इंजेक्शन रेमडेसिविर जैसी महंगी दवाइयों सहित सभी खर्च का भुगतान सरकार करेगी। इसके लिए कर्मचारियों को खर्च का हिसाब-किताब अपने विभाग के माध्यम से जिले के सिविल सर्जन या अस्पताल अधीक्षक को भेजना होगा।
यहीं से मेडिकल बिलों के भुगतान की कार्रवाई होगी। यह व्यवस्था सिर्फ सरकारी कोरोना मरीजों के लिए ही है। स्वास्थ्य आयुक्त संजय गोयल ने इससे संबंधित आदेश जारी कर दिए हैं। यदि कर्मचारी सामान्य परिस्थितियों में बीमार होते हैं, तो उन्हें सरकार से अनुबंधित 101 निजी अस्पतालों में इलाज मिलेगा। सरकारी अस्पतालों में इलाज का भुगतान सरकार नहीं करेगी।
कांग्रेस सरकार में 12 लाख कर्मचारी, पेंशनर्स और अध्यापकों के लिए बनी स्वास्थ्य बीमा योजना अब संशोधित रूप में लागू करने की तैयारी है। इस योजना में अफसरों से 1000 रु., कर्मचारी से 500 रु. और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों से 400 रु. हर महीने बीमा राशि का प्रीमियम लिया जाना था। इससे साल भर में सरकार को 400 करोड़ रु. मिलते, लेकिन तब कर्मचारी प्रीमियम राशि देने को राजी नहीं हुए थे। सरकार अब प्रीमियम राशि कम कर योजना को नए रूप में लाने पर विचार कर रही है।
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