भारत-चीन के बीच पैंगोंग लेक के पास हुई मुठभेड़ के बाद से ही उच्चस्तरीय बैठकें जारी हैं. हालांकि कई रिपोर्ट्स में सामने आया है कि लद्दाख के कई ऐसे इलाके हैं जहां भारतीय और चीनी सेना एकदम आमने-सामने है और तनावपूर्ण स्थिति अभी भी बनी हुई है. हालांकि भारतीय सेना काफी ऊंचाई पर है और इसका उन्हें लड़ाई में काफी फायदा मिल सकता है.
साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय सेना किसी-किसी इलाके में करीब 30 मंजिल की ऊंचाई पर पोस्ट बनाकर डटी हुई है जबकि इस मुकाबले चीनी सैनिक काफी नीचे हैं. भारतीय जवानों ने ऊंचाई पर कब्जा कर रखा है और उन्हें हटाने की कोशिश चीन पर भी भारी पड़ सकती है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि ऊंचाई पर बैठी सेना के पास बचाव का ज्यादा मौका होता है. जो ऊंचाई पर बैठा हो उस पर हमला करना मुश्किल होता है. ये चीनी सिपाहियों के लिए वैसा है जैसे 30वीं मंजिल पर बैठे किसी शख्स पर निशाना लगाना.
इसमें कहा गया है कि भारत सियाचिन ग्लेशियर में 1984 में 6,700 मीटर की ऊंचाई पर सैन्य ऑपरेशन कर चुका है. सियाचिन दुनिया का सबसे ऊंचा जंगी मैदान है. मौजूदा तनाव 5,000 मीटर चुशुल में है. ऐसे में चीनी सेना का ये मानना कि भारतीय सेना दुर्गम इलाकों में लड़ने के लिए सक्षम नहीं है उसे भारी पड़ सकता है.
एक्सपर्ट्स के मुताबिक इतनी ऊंचाई पर दुश्मन के सामने से हमला करना घातक होता है. इतनी ऊंचाई पर चढ़ना भी मुश्किल होता है क्योंकि सांस लेने में दिक्कत होती है और सामान भारी होता है. अखबार ने भारत के रिटायर्ड ब्रिगेडियर दीपक सिन्हा के हवाले से लिखा है, अगर आपको हमला करना हो तो आपको ऊंचाई पर बैठे एक इंसान का सामना करने के लिए 9 सैनिकों की जरूरत होती है.
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