प्रदेश में ओबीसी आरक्षण के मसले पर इस वक्त अहम बैठक हो रही है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये सभी मंत्रियों की बैठक ले रहे हैं. बता दें कि हाईकोर्ट ने जनगणना के आधार पर ओबीसी आरक्षण देने पर रोक लगाई है. उसी पर सरकार के रुख को लेकर चर्चा की जा रही है.
गौरतलब है कि 15 अगस्त को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण का दायरा 14 प्रतिशत से बढ़ाकर 27 प्रतिशत करने की घोषणा की थी. इस बढ़ोतरी के साथ ही राज्य में आरक्षण का दायरा बढ़कर 82 प्रतिशत हो गया था. राज्य सरकार द्वारा अन्य पिछड़ा वर्ग के आरक्षण का दायरा बढ़ाए जाने के ख़िलाफ़ कबीर शोध संस्थान के अध्यक्ष कुणाल शुक्ला याचिका दायर की थी. इस याचिका की सुनवाई के बाद मुख्य न्यायाधीश पीआर रामचंद्र मेनन की पीठ ने बढ़े हुए आरक्षण पर रोक लगा दी दी.
हाईकोर्ट के रोक पर सीएम भूपेश बघेल ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि “हाईकोर्ट ने आदेश जारी किया है उसमें पहले ही छत्तीसगढ़ में 58 प्रतिशत आरक्षण था. अब जा के आरक्षण 69 प्रतिशत को उन्होंने स्वीकार किया है इसका अर्थ यह हुआ कि 13 प्रतिशत अनुसूचित जाति को जो दिया गया था उसे उन्होंने स्वीकार किया है. 10 प्रतिशत जो सामान्य वर्ग के लोगों के लिए थे उसे भी भी कोर्ट ने स्वीकार किया है. 13 प्रतिशत जो ओबीसी के लिए है उसके लिए हम लोगों को लड़ाई लड़नी पड़ेगी, हमारा फैसला गलत नहीं है, हम माननीय न्यायालय के सामने सभी साक्ष्य पेश करेंगे.”
आपको बता दें कि प्रदेश सरकार ने ओबीसी का आरक्षण सीधे 13 प्रतिशत बढ़ाकर 14 से 27 प्रतिशत कर दिया था. जिससे प्रदेश में आरक्षण की सीमा बढ़कर 69 से सीधे 82 प्रतिशत हो गई थी. जो कि देश में सर्वाधिक आरक्षण प्रतिशत है. मामले में चार लोगों ने हाईकोर्ट में सरकार के इस फैसले के खिलाफ जनहित याचिका लगाई थी. मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने सरकार और याचिकाकर्ताओं का पक्ष सुनने के बाद बढ़े हुए आरक्षण पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी.
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