प्रधानमंत्री ने कहा, ”कोरोना के इस कालखंड में पूरी दुनिया अनेक परिवर्तनों के दौर से गुजर रही है. आज, जब दो गज की दूरी एक अनिवार्य जरूरत बन गई है, तो इसी संकट काल ने, परिवार के सदस्यों को आपस में जोड़ने और करीब लाने का काम भी किया है प्रधानमंत्री ने कोरोना काल में दो गज की दूरी की अहमियत बताई. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि दुनिया परिवर्तन के दौर से गुजर रही है. उन्होंने कहा कि इस संकट में परिवार के सदस्यों को आपस में जोड़ने और करीब लाने का काम किया है.प्रधानमंत्री ने कहा, ”इतने लम्बे समय तक, एक साथ रहना, कैसे रहना, समय कैसे बिताना, हर पल खुशी भरी कैसे हो ? तो, कई परिवारों को दिक्कतें आई और उसका कारण था, कि, जो हमारी परम्पराएं थी, जो परिवार में एक प्रकार से संस्कार सरिता के रूप में चलती थी, उसकी कमी महसूस हो रही है, ऐसा लग रहा है, कि, बहुत से परिवार है जहाँ से ये सब कुछ खत्म हो चुका है,प्रधानमंत्री ने अपने शुरुआती जीवन का किस्सा भी सुनाया, उन्होंने कहा कि शुरुआती जीवन में बच्चों से मिलता था और उन्हें कहानी सुनाता और उनसे भी सुनाने को कहता. प्रधानमंत्री ने कहा, ”मैं अपने जीवन में बहुत लम्बे अरसे तक एक परिव्राजक के रूप में रहा. घुमंत ही मेरी जिंदगी थी. हर दिन नया गाँव, नए लोग, नए परिवार, लेकिन, जब मैं परिवारों में जाता था, तो, मैं, बच्चों से जरूर बात करता था और कभी-कभी बच्चों को कहता था, कि, चलो भाई, मुझे, कोई कहानी सुनाओ, तो मैं हैरान था, बच्चे मुझे कहते थे, नहीं uncle, कहानी नहीं, हम, चुटकुला सुनायेंगे, और मुझे भी, वो, यही कहते थे, कि, uncle आप हमें चुटकुला सुनाओ यानि उनको कहानी से कोई परिचय ही नहीं था. ज्यादातर, उनकी जिंदगी चुटकुलों में समाहित हो गई थी.”
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