Lok Shakti

Nationalism Always Empower People

धान के फसल में भूरा माहो कीट का प्रकोप को देखते हुए कृषि विभाग द्वारा किसानों को दी भूरा माहो कीट से फसल को बचाने की सलाह

 किसान भाईयों को माहो कीट के नियंत्रण के लिए खेतों में फसल के अवशेषों व खरपतवारों को नष्ट करने के साथ ही कीट प्रकोप बहुत ज्यादा होने पर खेतों से पानी के निकासी की सलाह दी गई हैं।जैविक पद्धति से माहो कीट के रोकथाम के लिए खेत में मकड़ी मिरीड बग, डेमस्ल फ्लाई मेंढक, मछली का संरक्षण करने की सलाह दी गई है, जो प्रौढ़ व शिशु माहो कीट का भक्षण करते हैं। नीम का तेल 2500 या ज्यादा पीपीएम वाला एक लीटर प्रति एकड़ की दर से सुरक्षात्मक रूप से या कीट प्रारम्भ होते ही छिड़काव करने को कहा गया है। माहो कीट के रोकथाम के लिए बाजार में बहुत सी दवा उपलब्ध है। जैसे इमिडाक्लोप्रीड 17.8 एस.एल. 60-90 मिली. अथवा डाईनोटेफ्यूरोन 20 प्रतिशत एस.जी. 60 ग्राम प्रति एकड़ अथवा ट्राईफ्लूमेजोंपाइरीम 10 प्रतिशत एस.सी. 94 मिली. प्रति एकड़ की दर से छिड़काव कर इसको नियंत्रित किया जा सकता है। कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को सलाह दी गई कि वे दवा का उपयोग बहुत ही सोच समझकर करें, क्योंकि इस कीट में दवा के प्रति बहुत जल्दी प्रतिरोधकता आ जाती है। हवा के दिशा में दवा डाले, मुंह में कपड़ा अवश्य बांधे और दवा का छिडकाव करते समय पूरे कपड़े पहने। कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि भूरा माहो को बीपीएच ब्राउन प्लांट हार्पर या भूरा फदका भी कहा कहा जाता है। इस कीट की अंडा, शिशु व प्रौढ़ तीन अवस्था होती है। शिशु व प्रौढ़ दोनों अवस्था धान के पौधे के तने से रस चुसकर बहुत तेजी से फसल को नुकसान पहुंचाते है। माहो कीट का जीवन चक्र 28 से 33 दिनों का होता है। शिशु कीट का रंग मटमैला भूरा, प्रौढ़ कीट का रंग हल्का भूरा होता है। प्रौढ़ कीट की तुलना में शिशु कीट तेजी से पौधे का रस चुसता है। भूरा माहो कीट सीधा नहीं चलता है, वह तिरछा फुदकता है। यह कीट जहां धान की फसल घनी है अथवा खाद ज्यादा है, वहां अधिकतर दिखना शुरू होता है। जिसमें अचानक पत्तियां गोल घेरे में पीली व भूरे रंग की दिखने लगती है व सूख जाती है व पौधा गिर जाता है। जिसे होपर बर्न कहते हैं। यह कीट पानी की सतह के ऊपर तने से चिपककर रस चूसता है। 

You may have missed