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लोन मोरेटोरियम के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आज फिर सुनवाई की.

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 कोर्ट ने इस मामले में सरकार को एक हफ्ते की और मोहलत देते हुये सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ब्याज पर जो राहत देने की बात की गई है उसके लिए रिजर्व बैंक द्वारा किसी तरह का दिशा-निर्देश जारी नहीं किया गया है, इसलिए कोर्ट ने एक हफ्ते के भीतर स्थिति स्पष्ट करने के लिए नया हलफनामा दायर करने को कहा है.

कोर्ट ने कहा कि ब्याजमाफी कैसे लागू होगी, इसका विवरण देते हुए सरकार 12 अक्टूबर तक नया हलफनामा दे. सुनवाई के दौरान रियल एस्टेट कंपनियों के संगठन ने कहा है कि सरकार ने जो हलफनामा दिया है उसमें कई आंकड़े और तथ्य आधारहीन हैं. क्रेडाई ने केंद्र सरकार के हलफनामे पर जवाब के लिए कुछ और दिनों की मोहलत मांगी है.

क्रेडाई के वकील ने कहा कि केंद्र सरकार ने रियल एस्टेट सेक्टर को कोई राहत नहीं दी है. उन्होंने कहा कि सरकार ने इस सेक्टर को किसी तरह की लोन रीस्ट्रक्चरिंग सुविधा भी नहीं दी है. कंपनियों को पूरा ब्याज देना पड़ रहा है. क्रेडाई को सरकार के 6 लाख करोड़ रुपए के आंकड़े पर आपत्ति है. इसके जवाब में सरकार की तरफ से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि उपलब्ध संसाधनों के मुताबिक अलग-अलग सेक्टर को राहत दी गई है.

गौरतलब है कि लॉकडाउन में लोगों को आर्थिक तौर पर राहत देने के लिए रिजर्व बैंक ने लोन की ईएमआई का भुगतान टालने के लिये मोरेटोरियम की सुविधा दी थी. मार्च से शुरू हुई ये सुविधा 31 अगस्त तक यानी कुल 6 महीने के लिए थी. आरबीआई ने कहा था कि लोन की किस्त 6 महीने नहीं चुकाएंगे, तो इसे डिफॉल्ट नहीं माना जाएगा. हालांकि इसके साथ ये शर्त भी रख दी गई कि मोरेटोरियम के बाद बकाया पेमेंट पर पूरा ब्याज देना पड़ेगा. मतलब ये कि मोरेटोरियम सुविधा खत्म होने के बाद पिछले 6 माह की लोन के ब्याज पर अतिरिक्त ब्याज लगेगा.