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एशिया की सबसे लंबी सुरंग का काम 15 अक्टूबर से शुरू होगा जानें इसका महत्व

श्रीनगर को लेह से जोड़ने वाली एशिया की सबसे लंबी जोजिला सुरंग (Zojila Tunnel) का काम 15 अक्टूबर से शुरू होगा। इस सुरंग के बनने से लद्दाख साल भर जम्मू कश्मीर और पूरे देश से जुड़ा रहेगा। भारत-चीन सीमा तनाव के चलते जोजिला दर्रे का महत्व काफी बढ़ गया है और यह सुरंग सामरिक दृष्टि से भारतीय सेना के लिए बहुत मह्तवपूर्ण साबित होगी, क्योंकि इसकी वजह से सैन्य बलों की साल भर आवाजाही हो सकेगी।

अभी लद्दाख, गिलगिट और बाल्टिस्तान क्षेत्र में आतंकवादियों की गतिविधियों का खतरा बना रहता है, इस सुरंग के बन जाने से आतंकियों के नेटवर्क पर लगाम कसी जा सकेगी। केंद्रीय मंत्री नितिन गड़करी 15 अक्टूबर को सुबह 11 बजे फर्स्ट ब्लास्ट का वर्चुअली शुभारंभ करेंगे। इस टनल के निर्माण के लिए 6 साल की डेडलाइन तय की गई है। इस टनल की लागत करीब 8000 करोड़ रुपए हो रही थी, जिसे घटाकर अब 4400 करोड़ के करीब किया गया है।

पहले दो अलग-अलग सुरंग बनाए जाने की योजना थी, लेकिन इसके बढ़ते बजट को कम करने की दृष्टि से एक ही बड़ी टनल बनेगी, जिसमें दो तरफा लेन से वाहन गुजरेंगे। कोई एस्केप टनल नहीं बनाई जाएगी। दोनों तरफ 750 मीटर में आपातकाल ले बाई बनाया जाएगा। आपात स्थिति के लिए सुरंग में मैन्युअल फायर अलार्म पुश बटन लगाया जाएंगे। पोर्टेबल अग्निरोधक यंत्र भी लगाए जाएंगे। सुरंग के अंदर टेलीफोन की व्यवस्था भी होगी, ताकि आपात स्थिति में संपर्क किया जा सके। सुरंग के अंदर पर्याप्त लाइट की व्यवस्था भी रहेगी। दीवारों पर सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे।

इस सुरंग के बनने से इस क्षेत्र की सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक स्थिति मजबूत होगी। सर्दियों के मौसम में भी लोग लद्दाख जा सकेंगे जिससे पर्यटन उद्योग को बढ़ावा मिलेगा। इस समय श्रीनगर और लेह के बीच साल में सिर्फ 6 महीने ही आवाजाही हो पाती है, यह टनल बनने के बाद सालभर आवागमन हो सकेगा।

अभी जोजिला दर्रे को पार करने में तीन घंटे लगते है, लेकिन इस सुरंग के बन जाने से यह दूरी मात्र 15 मिनट में तय हो जाएगी। इससे समय और ईंधन दोनों की बचत होगी। टनल के निर्माण से स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।