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कोरोना संकट के बावजूद देश में 27.1 अरब डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) आया है।

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में कोरोना काल में भी देश की अर्थव्यवस्था मजबूत बनी हुई है। कोरोना संकट के बावजूद 2020-21 के अप्रैल-अगस्त में देश में 27.1 अरब डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) आया है। यह 2019-20 की समान अवधि में आए 23.35 अरब डॉलर के निवेश से 16 प्रतिशत ज्यादा है। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अनुसार इस अवधि में पुनर्निवेश में आया कुल एफडीआई 13 प्रतिशत बढ़कर 35.73 अरब डॉलर रहा, जबकि वित्त वर्ष 2019-20 के पहले पांच महीनों में यह 31.60 अरब डॉलर था। इसके साथ ही 2008 से 2014 में 231.37 अरब डॉलर की तुलना में 2014 से 2020 में कुल एफडीआई प्रवाह 55 प्रतिशत उछलकर 358.29 अरब डॉलर रहा। मंत्रालय के अनुसार सरकार की ओर से पिछले छह साल में किए गए सुधारों से एफडीआई में तेजी आई है। इसके साथ ही उन नीतिगत बाधाओं को भी दूर किया गया है, जो निवेश प्रवाह को बाधित कर रहे थे। निवेश को सुगम बनाने और कारोबार सुगमता के लिए भी कई कदम उठाए गए हैं।

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने ‘विश्व आर्थिक परिदृश्य’ पर जारी अपनी ताजा रिपोर्ट में कहा है कि भारत अगले साल चीन को पीछे छोड़ देगा। आईएमएफ ने कहा कि कोरोना के कारण चालू वित्त वर्ष में भारत की अर्थव्यवस्था में गिरावट का अंदेशा है, लेकिन अगले वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था लंबी छलांग लगाने में सक्षम होगी। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने कहा है कि 2021 में भारतीय अर्थव्यवस्था में 8.8 प्रतिशत की जोरदार बढ़त दर्ज हो सकती है और यह चीन को पीछे छोड़ते हुए सबसे तेजी से बढ़ने वाली उभरती अर्थव्यवस्था का दर्जा फिर से हासिल कर लेगी। चीन के 2021 में 8.2 प्रतिशत वृद्धि दर हासिल करने का अनुमान है।

दुनिया भर में कोरोना संकट के बीच भी अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने इसके पहले हाल ही में भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर बड़ी बात कही। आईएमएफ ने कहा कि भारत में अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर सबसे तेज रहेगी। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की ओर से जारी वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक रिपोर्ट के अनुसार, कोरोना महामारी के चलते 2020 का साल वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए काफी खराब रहने वाला है, लेकिन इसके बाद भी भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बना रहेगा। आइएमएफ के मुताबिक, इस साल वैश्विक अर्थव्यवस्था में 1930 के महामंदी के बाद की सबसे बड़ी गिरावट देखने को मिलेगी।

अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) ने कहा कि भारत की अगुवाई में दक्षिण एशिया वैश्विक वृद्धि का केंद्र बनने की दिशा में बढ़ रहा है और 2040 तक वृद्धि में इसका अकेले एक-तिहाई योगदान हो सकता है। आईएमएफ के हालिया शोध दस्तावेज में कहा गया कि बुनियादी ढांचे में सुधार और युवा कार्यबल का सफलतापूर्वक लाभ उठाकर यह 2040 तक वैश्विक वृद्धि में एक तिहाई योगदान दे सकता है। आईएमएफ की एशिया एवं प्रशांत विभाग की उप निदेशक एनी मेरी गुलडे वोल्फ ने कहा कि हम दक्षिण एशिया को वैश्विक वृद्धि केंद्र के रूप में आगे बढ़ता हुए देख रहे हैं।