दुनियाभर में तेजी से बढ़ते कोरोना संक्रमण के मामलों के बीच आईसीएमआर ने राहत भरी खबर दी है. आईसीएमआर के अनुसार बुजुर्गों में इसका असर सबसे ज्यादा देखने को मिल रहा है. वैज्ञानिक बीसीजी वैक्सीनेशन के असर का पता लगाने के लिए अब टी सेल्स, बी सेल्स, श्वेत रक्त कोशिका और डेंड्रीटिक सेल प्रतिरक्षा की जांच में लगे हुए हैं.
गौरतलब है कि कोरोना का सबसे ज्यादा असर 60 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों में देखने को मिला है. कोरोना की जांच में पता चला है कि जिन बुजुर्गों को कोमोरबिडीटीज जैसी गंभीर बीमारी है उनमें कोरोना से मौत का खतरा ज्यादा होता है. ऐसे बुजुर्गों के इलाज में बीसीजी वैक्सीन काफी असरदार साबित हो रही है. ज्ञात रहे कि बीसीजी वैक्सीन नवजात शिशुओं को केंद्र सरकार के सार्वभौमिक प्रतिरक्षण कार्यक्रम के तहत लगाया जाता है.
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद ने जानकारी दी कि शोध के दौरान पता चला है कि बीसीजी वैक्सीन से बुजुर्गों की मेमोरी सेल्स में बदलाव होता है और शरीर में एंटीबॉडी बनती है. अभी तक इस वैक्सीन का इस्तेमाल 54 लोगों पर किया जा चुका है. बताया जाता है कि 86 लोगों में 54 लोगों को वैक्सीन दी गई थी जबकि 32 लोगों को नहीं दी गई.
जांच में पता चला है कि जिन लोगों को बीसीजी वैक्सीन दी गई थी उनमें एंटीबॉडी तेजी से बनी है और ऐसे बुजुर्ग अपने आपको स्वस्थ महसूस कर रहे हैं. हालांकि अभी भी बीसीजी वैक्सीन की जांच जारी है. इससे पहले किए गए शोध में बताया गया है कि इंडोनेशिया, जापान और यूरोप में बीसीजी वैक्सीनेशन ने श्वसन संबंधी बीमारियों से बुजुर्गों की सुरक्षा की है.
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