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कोरोना काल में बिना जीएसटी नंबर के एक फर्म को मिला 11 लाख का सप्लाई आर्डर, भुगतान भी

पश्चिमी सिंहभूम जिले के सदर अस्पताल, चाईबासा में अपने रिश्तेदारों के नाम से रजिस्टर्ड 2 अलग- अलग फर्म से 1.5 करोड़ से अधिक के स्वास्थ्य उपकरणों आदि की खरीद करने के साथ ही कोविड-19 के दौरान पीपीई कीट समेत विभिन्न स्वास्थ्य उपकरणों की खरीद प्रक्रिया में फंसे डीपीएम नीरज कुमार यादव के खिलाफ एक ओर फर्जीवाड़ा का मामला प्रकाश में आया है.

दरअसल, डीपीएम नीरज कुमार यादव के द्वारा कोरोना से लड़ने के लिए विगत 19 सितंबर 2020 को नॉन स्टरलाइज्ड हैंड ग्लोब्स की खरीद के लिए सदर अस्पताल, चाईबासा से ऑर्डर नंबर 327 (डीपीएमयू) निकाला गया. इसके सप्लाई का जिम्मा डीपीएम ने अंदरूनी तौर पर कोटेशन निकाल कर चाईबासा सदर बाजार स्थित बांधपाड़ा के पते पर रजिस्टर्ड एमएस एडग्लोबल नामक कंपनी को दे दिया. आर्डर के तहत सप्लायर के द्वारा 11.50 रुपये की दर से कुल 10 हजार पीस हैंड ग्लोब्स की आपूर्ति भी सदर अस्पताल में कर दी गयी. इसमें एमएस एड ग्लोबल के जिस फर्म से 1.15 लाख के हैंड्स ग्लोब्स की खरीद की गयी है. उक्त फर्म के बिल में दर्ज जीएसटी नंबर-’20बीएसएनपीओ5512एल1जेडएक्स’ जांच करने पर फर्जी मिला है

इतना ही नहीं, उक्त फर्जी जीएसटी बिल के एवज में फर्म के एक्सिस बैंक के खाता संख्या-‘918020110748928’ में डीपीएम नीरज कुमार यादव के द्वारा जीएसटी सहित कुल 1.20 लाख रुपये का भुगतान भी कर दिया गया है. इधर, कोरोना काल में जिला स्वास्थ्य विभाग में फर्जीवाड़ा करने की खबर प्रभात खबर में प्रकाशित होने के बाद डीसी अरवा राजकमल के निर्देश पर गठित जांच टीम के हाथों भी डीपीएम नीरज यादव के खिलाफ कई पुख्ता सबूत हाथ लगे हैं. जांच टीम के अधिकारियों की मानें, तो डीपीएम नीरज कुमार यादव ने बड़े पैमानें पर गड़बड़ी की है. आरोप के साक्ष्य के तौर पर जांच टीम को काफी कुछ मिला है.

फर्जी फर्म से कोरोना काल में 10 बार में कुल 11 लाख की हुई खरीदारी चाईबासा सदर बाजार स्थित बांधपाड़ा के पते पर रजिस्टर्ड एमएस एडग्लोबल कंपनी के एक्सिस बैंक खाता संख्या-‘918020110748928’ में एकाउंट होल्डर के तौर पर अमलाटोला स्थित बांधबाड़ा निवासी एक महिला का नाम अंकित है. उक्त फर्म के एक्सिस बैंक खाते में विगत 20 अक्तूबर, 2019 से 18 अक्तूबर, 2020 तक एक साल के अंतराल में सदर अस्पताल चाईबासा से ही कुल 21 लाख 81 हजार 674 रुपये का भुगतान सीपीएसएमएस के माध्यम से हुआ है. वहीं, एक साल में कुल 23 लाख 16 हजार 667 रुपये का भुगतान उक्त फर्म के खाते में हुआ है.

इतना ही नहीं, मात्र कोरोना काल में ही सदर अस्पताल चाईबासा के द्वारा उक्त फर्जी फर्म के बैंक एकाउंट में कुल 10 लाख 93 हजार 870 रुपये का भुगतान किया गया है. उक्त फर्म से कोरोना के दौरान विगत मई से लेकर सितंबर माह तक 1.5 लाख से कम राशी के छोटे-छोटे कोटेशन निकाल कर डीपीएम नीरज कुमार यादव के द्वारा कुल 10 बार खरीद की गयी है. गुड्स एंड सर्विसेस टैक्स की साइट ने सप्लायर के जीएसटी को बताया अमान्यएमएस एडग्लोबल कंपनी के सप्लायर के बिल वाउचर में जीएसटी नंबर-’20बीएसएनपीओ5512एल1जेडएक्स’ दर्ज है.

फर्म के जीएसटी नंबर की जांच के लिए गुड्स एंड सर्विसेस टैक्स की साइट में सप्लायर द्वारा पेश किये गये बिल का जीएसटी नंबर एड करने पर उक्त जीएसटी नंबर को अमान्य बताया गया है. साथ ही मान्य जीएसटी नंबर दर्ज करने की भी हिदायत दी गयी है, जबकि सदर अस्पताल चाईबासा के तत्कालीन डीपीएम नीरज कुमार यादव के द्वारा विगत 19 सितंबर 2020 को नॉन स्टरलाइज्ड हैंड ग्लोब्स की खरीद के लिए निकाले गये ऑर्डर नंबर 327 (डीपीएमयू) के सप्लाई का जिम्मा फर्जी कंपनी एमएस एडग्लोबल को दे दिया गया. आर्डर के तहत सप्लायर के द्वारा 11.50 रुपये के दर से कुल 10 हजार पीस हैंड ग्लोब्स की आपूर्ति भी की गयी, जो कि सप्लायर के बिल में सदर अस्पताल के स्टोर रूम में भंडारण पंजी के पृष्ठ संख्या 170 में दर्शाया गया है. इसके एवज में सप्लायर के द्वारा 22 सितंबर 2020 को इनवॉइस नंबर- एडी/011 जीएसटी नंबर-’20बीएसएनपीओ5512एल1जेडएक्स’ के साथ कुल 1 लाख 15 हजार की राशि के बिल भुगतान के लिए सदर अस्पताल चाईबासा के सिविल सर्जन के नाम बिल भी जमा किया गया है.

इसके बाद सदर अस्पताल की ओर से सप्लाई के बदले 1 अक्तूबर 2020 को सप्लायर को जीएसटी सहित कुल 1 लाख 20 हजार रुपये का भुगतान सीपीएसएमएस के माध्यम से उसके एक्सिस बैंक के खाते में कर दिया गया. फर्जी फर्म के खाते से एटीएम से ही सबसे अधिक 18 लाख 27 हजार की हुई निकासी एमएस एडग्लोबल कंपनी के एक्सिस बैंक खाते में सदर अस्पताल के द्वारा खरीद के एवज में राशि के भुगतान किये जाने के बाद सुनियोजित तरीके से अलग- अलग तारीखों को चाईबासा के अलग-अलग बैंक के एटीएम से उक्त फर्जी फर्म के ओनर के द्वारा अपने एटीएम कार्ड का इस्तेमाल करते हुए कई बार राशि की निकासी की जाती रही है.