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गिरदावरी के बाद पंजीकृत किसानों की जमीन के आंकड़ों में हेरफेर, सुधार के लिए 3 तक मोहलत

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छत्तीसगढ़ में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर इस सीजन की धान खरीदी शुरू होने से पहले एक बड़ी गड़बड़ी सामने आ रही है। पिछले साल पंजीकृत किसानों के धान के रकबे को लेकर ये संकट सामने आ रहा है कि बड़ी संख्या में किसानों की जमीन का रिकार्ड ही भुईयां साॅफ्टवेयर में नहीं आया है। इसकी वजह से सोसाइटी किसानों का पंजीयन नहीं कर रही है। इस मामले में तीसरा पक्ष राजस्व विभाग यानी पटवारी है। पटवारी द्वारा जो गिरदावरी प्रतिवेदन दिया गया है, उसके बारे में उनका कहना है कि उन्होंने अपना काम सही किया है, लेकिन तकनीकी गड़बड़ी से भुईयां साॅफ्टवेयर में रकबे की एंट्री नहीं हुई है।

राज्य सरकार के राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग ने यह मामला सामने आने के बाद 31 अक्टूबर को एक नया आदेश जारी किया है। प्रदेश के सभी कलेक्टरों के नाम जारी आदेश में कहा गया है कि गिरदावरी के बाद ग्रामवार फसल क्षेत्राच्छादन प्रतिवेदन का 21 सितंबर को प्रारंभिक प्रकाशन कर आपत्ति का निराकरण करते हुए फसल क्षेत्राच्छादन की प्रविष्टि अंतिम रूप से खसरा पांच साला तथा भुईयां सॉफ्टवेयर में 14 अक्टूबर तक करने के निर्देश दिए गए थे। फिर भी हो सकती है ये परेशानी इस पूरे मामले में राज्य सरकार के प्रयास के बावजूद आने वाले दिनों में प्रभावित किसानों के सामने परेशानी की आशंका जताई जा रही है। जानकारों का कहना है कि पंजीयन की अ‌वधि 10 नंवबर तक है, लेकिन रिकार्ड में सुधार व तहसीलदार द्वारा गिरदावरी के लिए 3 नवंबर तक का समय दिया गया है। यह काम किसी भी हाल में करने के लिए कहा गया है। ऐसे में 3 नवंबर के बाद एनआईसी द्वारा माड्यूल में रिकार्ड अपडेट नहीं किया जा सकेगा। इसकी वजह गिरदावरी की स्थिति नहीं रहेगी। उपजवार खसरा शून्य दिखाएगा। ऐसे में किसान अपना धान नहीं बेच पाएगा।