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एलएसी से अपने सैनिक पीछे हटाने ही होंगे, भारत का चीन को स्पष्ट जवाब

पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर जारी तनाव का हल निकालने के लिए सैन्य कमांडर स्तरीय वार्ता में भारत ने चीन को एक बार फिर स्पष्ट कर दिया कि एलएसी की यथास्थिति में बदलाव किए बिना ही सैनिकों को पीछे हटाने का रास्ता निकालना होगा. एलएसी के दुर्गम इलाकों में तैनात सैनिकों को पीछे हटाने के लिहाज से शुक्रवार को हुई कमांडर स्तर की आठवें दौर की यह वार्ता भारत और चीन दोनों के लिए बेहद अहम है. इस वार्ता में सहमत होने वाले मुद्दों पर आपसी समझ बनाने के बाद ही दोनों देशों अपना बयान जारी करेंगे.

भारत-चीन के विदेश मंत्रियों के बीच मास्को बैठक में एलएसी गतिरोध का वार्ता से हल निकालने की बनी सहमति के बाद सैनिकों को दुर्गम इलाकों से हटाने के मुद्दे पर कमांडर स्तर की आठवें दौर की बातचीत अहम मानी जा रही है. ठंड का मौसम शुरू हो चुका है और एलएसी के इन दुर्गम मोर्चो पर अगले कुछ दिनों में बर्फ गिरने की शुरूआत भी हो जाएगी. ऐसे में यहां सैनिकों की तैनाती बनाए रखना दोनों देशों के लिए बड़ी चुनौती है.

पूर्वी लद्दाख में भारत के चुशूल सेक्टर में कमांडर स्तर की यह लंबी वार्ता सुबह साढे नौ बजे शुरू हुई जिसमें भारतीय दल का नेतृत्व सेना के 14वें कोर के नए कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल पीजीके मेनन ने किया. इसमें दोनों देशों के विदेश मंत्रालयों के प्रतिनिधि भी शामिल हुए. छठे दौर की कमांडर स्तरीय वार्ता में जहां दोनों देशों के बीच एलएसी पर और सैनिक नहीं भेजने पर सहमति बनी थी. वहीं सातवें दौर की बातचीत में सैनिकों की वापसी के फार्मूले का कोई समाधान नहीं निकला मगर कूटनीतिक संवाद बनाए रखने की हामी भरी थी.

बातचीत में भारत ने बार-बार साफ किया है कि सैन्य तनातनी खत्म करने की जिम्मेदारी चीन पर है और इसके लिए एलएसी की गरिमा का दोनों तरफ से सम्मान किया जाना अनिवार्य जरूरत है. भारत इस रुख पर कायम है कि चीन अपने सैनिकों को वापस हटाकर मई के पूर्व स्थिति में ले जाए. जबकि चीन का कहना है कि भारत पैंगोंग झील के दक्षिणी इलाके की चोटियों पर तैनात अपने सैनिकों को पहले पीछे हटाए.

आठवें दौर की कमांडर वार्ता को लेकर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा संपूर्ण एलएसी से सैनिकों की पूरी तरह से वापसी के लिए चीन से हम लगातार बातचीत कर रहे हैं. दोनों देशों के नेताओं के निर्देश के अनुरूप एलएसी पर अमन शांति बनाए रखने के लिए आगे भी बातचीत का दौर जारी रहेगा.