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12,664 छात्रों के नाम पर हुई निकासी, 2080 को ही मिली छात्रवृत्ति, इन स्कूलों की होगी जांच

केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्रालय द्वारा अल्पसंख्यक छात्रों को दी जाने वाली प्री मैट्रिक छात्रवृत्ति के नाम पर वर्ष 2019-20 के दौरान धनबाद में ”लूट की गंगा” बहा दी गयी. इसका अंदाजा इसी लगाया जा सकता है कि वर्ष 2018-19 के दौरान जिले में सिर्फ 2080 अल्पसंख्यक विद्यार्थियों को यह छात्रवृृत्ति दी गयी थी. एक वर्ष बाद (वर्ष 2019-20) ही लाभुकों की संख्या छह गुना बढ़ कर 12664 हो गयी. यानी जिले के 162 स्कूलों से लगभग 10 हजार फर्जी छात्रों को छात्रवृत्ति दे दी गयी.

जिले में अल्पसंख्यक छात्रों मिलनेवाली प्री मैट्रिक छात्रवृत्ति की कुल संख्या वर्ष 2018-19 तक चार हजार से अधिक कभी नहीं गयी थी, लेकिन वर्ष 2019-20 के दौरान सारे रिकार्ड टूट गये. अगर इस वर्ष इस घोटाले का खुलासा नहीं होता, तो वर्ष 2020-21 के दौरान भी यह साजिशकर्ता अपने मंसूबे में कामयाब हो जाते. वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए अक्तूबर के अंत तक 7000 से अधिक आवेदन मिल चुके थे, जबकि आवेदन देने की अंतिम तिथि 15 नवंबर है.

पूछताछ : शुक्रवार को एडीएम लॉ एंड ऑर्डर की अध्यक्षता वाली जांच कमेटी के समक्ष 40 स्कूलों ने छात्रवृत्ति से संबंधित कागजात जमा किये और अपना पक्ष रखा. जांच कमेटी ने इन स्कूल संचालकों को पहले दिन बुलाया था. कई स्कूलों को शनिवार को बुलाया गया है. वहीं पूछताछ के बाद कई स्कूल संचालकों ने जांच कमेटी पर उन्हें प्रताड़ित करने का आरोप लगाया.

 अधिकारी सभी प्राचार्यों को डरा-धमका रहे थे. पूछताछ क दौरान उनसे जबरदस्ती गुनाह कबूल करने को कहा जा रहा था. उन्होंने आरोप लगया कि निजी स्कूलों को जबरन फंसाने की साजिश की जा रही है. अगर आगे भी भेदभावपूर्ण रवैया अपनाया जाएगा, तो वे न्यायालय की शरण में जायेंगे.

 जांच कमेटी के सभी सदस्य जांच में दिन भर जुटे रहे. अधिकारियों की मानें, तो एक टीम अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति के लिए आवेदन देनेवाले सभी स्कूलों के 2019-20 के आकंड़ों का मिलान यू-डायस से कर रही थी. इन आकंड़ों में बड़ी संख्या में फर्जीवाड़े के प्रमाण मिले हैं. यह मिलान शनिवार को भी जारी रहेगा. इसके साथ फर्जीवाड़े में बड़ी संख्या में फर्जी आधार कार्ड के इस्तेमाल के प्रमाण भी मिल रहे हैं. जांच कमेटी के पास प्रारंभिक जांच के लिए शनिवार तक का समय है. यह टीम शनिवार से सोमवार तक अपनी रिपोर्ट उपायुक्त उमाशंकर सिंह को सौंप देगी.

 मॉर्डन इंग्लिश एकेडमी, इसलामपुर के मामले में बड़ी गड़बड़ी सामने आयी है. स्कूल के पांचवी कक्षा तक के छह छात्रों को 10700 रुपये की छात्रवृृत्ति दी गयी है, जबकि इन छात्रों को नियमानुसार 1000 रुपये ही मिलने चाहिए थे. इस स्कूल के नाम पर भी बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा सामने आया है. स्कूल के प्रिंसिपल मो हसनैन बताते हैं कि उन्होंने स्कूल की ओर से केवल छह छात्रों को छात्रवृत्ति देने के लिए आवेदन दिया था, लेकिन उनके स्कूल के नाम पर 114 विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति दे दी गयी है. इनमें छह छात्रों को छोड़ कर कोई भी उनका छात्र नहीं है. यह कैसे हुआ, वह यह नहीं जानते हैं.

 चिरकुंडा के चिल्ड्रेन पैराडाइज स्कूल का मामला अपने अपने आप में अलग है. इस स्कूल में एक भी अल्पसंख्यक छात्र नहीं है. स्कूल के प्रिंसिंपल पुनीत चौहान बताते हैं कि उनकी ओर से छात्रवृत्ति के लिए आवेदन दिया ही नहीं गया था, लेकिन उनके स्कूल के नाम 270 छात्रों को छात्रवृत्ति दे दी गयी है. उन्होंने बताया : जितने छात्रों को छात्रवृत्ति दी गयी, उसके एक तिहाई छात्र ही उनके स्कूल में पढ़ते हैं. उनका स्कूल पांचवी कक्षा तक ही संचालित किया जाता है, लेकिन उनके स्कूल के नाम पर छात्रवृत्ति पानेवाले छात्रों को नौवीं और 10वीं का छात्र बताया गया है.