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Editorial :- लीचिंग का राजनीतिकरण क्यों ?

लोकसभा में अलवर लीचिंग का मामला उठने पर गूहमंत्री राजनाथ सिंह ने स्पष्टीकरण दे दिया था। बावजूद इसके राहुल गांधी की कांग्रेस ने इसका राजनीतिकरण करने का दुस्साहस किया।
इसके पूर्व उद्धव ठाकरे ने भी बीजेपी की आलोचना करते हुए कहा था कि देश में महिलाएं असुरक्षित हैं पर आप गायों को बचा रहे हैं। इसी प्रकार की प्रतिक्रियाएं राहुल गांधी तथा सेक्युलर मीडिया के द्वारा भी व्यक्त की जाती रही है। बिहार विधानसभा चुनाव के समय भी इसी प्रकार के एक मुद्दे को उछालकर वोट बैंक पॉलिटिक्स की गई थी।
उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने   ठीक ही कहा है कि मोदी सरकार का प्रयत्न है कि लोग भी सुुरक्षित रहें और गाय भी सुरक्षित रहें।
यहॉ यह उल्लेखनीय है कि भारत में बूचडख़ाने प्रारंभ करने वाले रॉबर्ट क्लाईव की अनुयायी राहुल गांधी की कांग्रेस है। उसी का परिणाम है कि गायों की तस्करी हो रही है और लिचिंग को भी प्रोत्साहन मिल रहा है। कर्नाटक में भाजपा सरकार के समय गौहत्या पर प्रतिबंध था परंतु बाद में वहॉ कांगे्रस की, सिद्धारमैय्या की सरकार ने इस पर लगे प्रतिबंध को हटा दिया था।
रवांडा के लिये तोहफे में पीएम मोदी २०० गायें ले गये। रवांडा की सरकार का एक अहम कार्यक्रम है जिसका अर्थ होता है एक गाय रखिये। इस योजना के जरिए कई परिवार गरीबी के दुस्चक्र से बाहर निकले हैं रवांडा में।
हमारे यहॉ इस प्रकार की योजना बीजेपी की प्रांतीय सरकारें प्रारंभ करती हैं तो कांग्रेस और तथाकथित सेक्युलर मीडिया उसका उपहास करती है।
अलवर में रकबर खान की मौत को लेकर तो खूब हो-हल्ला मचाया जा रहा है, लेकिन बाडमेर में 22 साल के खेताराम भील की हत्या मुसलमानों की भीड़ ने कर दी उस पर सबकी जुबान बंद है। यह अल्पसंख्यकों को भड़काने का कार्य नहीं तो क्या है?
लोकसभा अध्यक्षा सुमित्रा महाजन जी ने भी कहा है कि लीचिंग का राजनीतिकरण नहीं होना चाहिये।
इण्डिया टीवी के चेयरमैन रजत शर्मा ने भी अपने ब्लॉग मेें इसकी चर्चा की है।
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट किया कि ‘उनके (मोदी) क्रूर न्यू इंडिया में मानवता की जगह हिंसा ने ले ली हैÓ। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने ट्वीट कर राहुल गांधी पर पलटवार किया, ‘आप (राहुल) चुनावी फायदे के लिए समाज को बांटते हैं और फिर घडिय़ाली आंसू बहाते हैं। अब बहुत हो गया। आप नफरत के व्यापारी हैं।Ó
गृहमंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में भीड़ द्वारा हिंसा की बढ़ती घटनाओं से निपटने के लिए केंद्र ने एक मंत्रियों के समूह (त्रशरू) का गठन किया है। लीचिंग जैसे घटनाओं के लिये कानून  भी बनाया जा सकता है परंतु इस सबमें समय लगेगा। अतएव राजनीति दल के नेताओं को इस मुद्दे पर बयान देना बंद कर देना चाहिये।
भीड़ द्वारा हिंसा की बढ़ती घटनाओं से निपटने के लिए केंद्र ने एक मंत्रियों के समूह (त्रशरू) का गठन किया है।
उदाहण के लिए अगर कोई विधायक कहे कि गोतस्करी और गोहत्या के खिलाफ युद्ध चल रहा है, वहीं कोई दूसरा नेता यह कहे कि हिन्दू तालिबानी हैं और तीसरा नेता कहे कि गोरक्षा की आवाज उठाने वाले दहशतगर्द हैं तो इस तरह के सभी बयान बेकार के तनाव को जन्म देते हैं।
राहुल गांधी और उसकी कांग्रेस तथा सेक्युलर मीडिया को पूर्व के यूपी के एमएलसी बुक्कल नवाब ने मंदिर में जाकर जो गो दान किया है और कहा है कि ऐसा कर वे परलोक में सुकुन से रहना चाहते हैं। अब राहुल गांधी को सोचना है कि वे कैसे हिन्दू हैं, कैसे शिव भक्त हैं, कैसे जनेऊधारी हैं। उन्हें अपना बहुरूपीया रूप को हटाकर असली रूप दिखाना चाहिये।
देश में सेक्यूलरिज्म के नाम पर वामपंथी पत्रकार और तथाकथित बुद्धिजीवी दोहरा रवैया अपना रहे हैं। कौन सी घटना मॉब लिंचिंग है और कौन सी नहीं, यह धर्म देखकर तय किया जा रहा है। राजस्थान में लगभग एक साथ घटी दो अलग-अलग घटनाओं के संदर्भ में देखें तो ये बात साफ है कि तथाकथित सेक्यूलरवादी हिंदुओं के साथ घटित हुई किसी भी घटना पर मौन रहते हैं और किसी मुसलमान अपराधी के साथ भी कोई घटना घट जाए तो ये शोर मचाने लगते हैं जैसे अलवर में लीचिंग का मामला।
लीचिंग की घटना चाहे कैसी भी हो किसके द्वारा भी की जाये उससे अलगाववाद और धार्मिक उन्माद न फैलाया जाये बल्कि सभी को मिलकर उसे रोकने का प्रयास करना चाहिये।