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खेत-खलिहान में भरी संपदा इस बार अन्नदाता ही कुबेर

इस बार की दीपावली असली ‘अन्नदाताओं’ यानी किसानों के नाम होगी. कोरोना संकट और लाॅकडाउन के बावजूद झारखंड समेत देश भर के किसानों ने खेतों में हाड़तोड़ मेहनत की. वहीं, मौसम ने भी इनका पूरा साथ दिया, जिसकी बदौलत धान समेत खरीफ की अन्य फसलों की भरपूर पैदावार हुई है. यानी इस बार खेतों-खलिहानों के रास्ते माता लक्ष्मी का आगमन हो रहा है.

दीपावली में समृद्धि का प्रतीक मानी जानेवाली धान की बालियों की पूजा का विधान है. इसके जरिये कामना की जाती है कि कोई भी भूखा न रहे. किसानों की मेहनत से हुई भरपूर पैदावार के रूप में यह पूजा इस बार सार्थक होती दिख रही है. कोरोना महामारी का प्रकोप फैलने के बाद जब सरकार ने पूरे देश में लॉकडाउन घोषित कर रखा था, तब किसान ही थे, जो बेखौफ होकर खेतों में उतरे.

प्रकृति ने भी इनका साथ दिया. समय से मॉनसून आया. जून के दूसरे सप्ताह से ही राज्य में बारिश होने लगी. इससे किसानों को खेत तैयार करने का पूरा समय मिल गया. सरकार ने भी स्थानीय प्रशासन की मदद से किसानों को समय पर खाद और बीज उपलब्ध कराया.

राज्य सरकार ने खरीफ मौसम में 18 लाख हेक्टेयर में धान लगाने का लक्ष्य रखा था. वहीं, राज्य में किसानों ने तय लक्ष्य के करीब 98 फीसदी खेतों में रोपा किया. यह अब तक का रिकार्ड कवरेज रहा. सुखद यह रहा कि जब-जब किसानों को जरूरत हुई, तब-तब बारिश ने भी उनका साथ दिया.

इस बार मॉनसून का स्पेल भी लंबा रहा. पूरे मॉनसून के दौरान राज्य में औसतन 1000 मिमी के आसपास बारिश हुई. कुछ जिलों में तो 1200 से 1300 मिमी तक बारिश दर्ज की गयी. कई बार अच्छे मॉनसून के बावजूद कटनी के समय बारिश हो जाने से फसल बरबाद हो जाती थी.

लेकिन इस बार अक्तूबर के अंत में जब धान की फसल तैयार हो गयी, तो बारिश रुक गयी. फसल को पकने और कटने का मौका भी मिला. साफ मौसम के कारण किसानों को दउनी और निकौनी का भी पूरा समय मिल रहा है. राज्य सरकार ने करीब 80 लाख टन खाद्यान्न उत्पादन का अनुमान किया है.

जब फसल तैयार हो गयी, तो सरकार ने भी किसानों को बोनस की घोषणा कर दी है. सरकार 182 रुपये प्रति क्विंटल बोनस देगी. केंद्र सरकार ने पूर्व में ही न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित कर दिया है.

अगर किसानों को बाजार में धान की अच्छी कीमत नहीं मिल पायेगी, तो वे सरकार को 2050 रुपये प्रति क्विंटल की दर से धान बेच पायेंगे. सरकार ने इस वर्ष करीब 4.50 लाख क्विंटल धान इस स्कीम के तहत खरीदने का लक्ष्य रखा है. इससे किसानों के बीच राज्य सरकार करीब 80 करोड़ रुपये बोनस के रूप में बांट पायेगी.

इस बार किसानों में खेती को लेकर इतना उत्साह था कि सरकार ने जो लक्ष्य तय किया था, उससे अधिक खेतों में धान लगा दिया. इसमें राजधानी के किसान भी शामिल थे. रांची में कृषि विभाग ने 1.71 लाख हेक्टेयर में धान लगाने का लक्ष्य रखा था. रांची के किसानों ने 1.71 लाख हेक्टेयर से अधिक धान लगा दिया था.

इसी तरह का काम गिरिडीह, रामगढ़, जामताड़ा के किसानों ने भी किया. इसके अतिरिक्त करीब-करीब सभी जिलों ने तय लक्ष्य का 95 से 98 फीसदी खेतों में धान लगाया. संताल परगना में सरकार ने 3.64 लाख हेक्टेयर में धान लगाने का लक्ष्य रखा. इसकी तुलना में करीब 3.57 लाख हेक्टेयर में संताल के किसानों ने धान लगाया. पलामू प्रमंडल के किसान आम तौर पर धान की खेती कम कर करते हैं. इसके बावजूद यहां 1.36 लाख हेक्टेयर में धान लगाने का लक्ष्य रखा गया था. इसमें 1.35 लाख हेक्टेयर में किसानों ने धान लगाया.