कौन बनेगा करोड़पति के इस सीजन की पहली करोड़पति रांची की नाज़िया नसीम बन गयी हैं. वह इसे सपने जैसा करार देती हैं. वह इस खुशी को सेलिब्रेट करने खासतौर पर रांची आयी हैं ताकि परिवार के साथ वह एपिसोड देख सकें. खुशियां मना सके. नाज़िया कहती हैं कि रांची और पूरा झारखंड हमेशा से मेरे दिल के बहुत करीब रहा है. मुझमें जो तहजीब है वो रांची से है क्योंकि वहां के लोग बहुत प्यारे हैं. उर्मिला कोरी से हुई बातचीत…
सोचा नहीं था ऐसा कुछ हो जाएगा. प्रोमो जब केबीसी का आउट हुआ उसके बाद इतने लोगों के फोन कॉल्स और शुभकामनाएं आनी शुरू हो गयी कि लगा अरे ये तो सच है. अब लग रहा है कि ये एक बड़ी उपलब्धि है. मैं बहुत ही इमोशनल हूं बहुत भाव विभोर हूं सिर्फ मैं ही नहीं मेरा पूरा परिवार क्योंकि यह कुछ ऐसा है जो मेरे ही नहीं पूरे खानदान के उम्मीद के परे है. रांची और भिलाई मेरे दोनों परिवारों को इतने कॉल्स आ रहे हैं. मुझे ऐसे ऐसे लोग मुबारकबाद दे रहे हैं. जिनसे मैंने 10 साल से बात भी नहीं की है. हम भारतीयों की खासियत होती है कि हम अंडर डॉग्स को जीतते हुए बहुत खुश होते हैं. पिछले साल जब सनोज राज जीते थे तो हम सब बहुत खुश हुए थे वह मुझे केबीसी का सबसे बेस्ट एपिसोड लगा था.
2000 में जब केबीसी वापस आया था तब से मेरी कोशिश जारी है.मेरी माँ की ये ख्वाइश थी कि मैं केबीसी में जाऊं और हॉट सीट पर बैठूं. इस सीजन आखिर मुझे कॉल आ गया और चीज़ें अपने आप होती चली गयी. सबकुछ एक सपने की तरह लग रहा.
मुझे जहां तक लगता है कि केबीसी आपके मौजूदा तीन या छह महीने के ज्ञान को टेस्ट नहीं करता है बल्कि आपके सालों के ज्ञान ,आपके आत्मविश्वास आपके सोचने और परखने की क्या क्षमता है. केबीसी इन सबको कई लेवल पर परखता है. केबीसी सिर्फ एक क्विज शो नहीं है कि आपने एक क्विज वाली किताब रट ली और हो गया. यह आम आदमी को प्लेटफॉर्म देता है कि आप भी फेमस हो सकते हैं.
छोटे शहर में लड़कियों को सपने देखना आसान नहीं होता है. बड़े शहरों में भी लड़कियों को दिक्कतें होती हैं लेकिन छोटे शहर में ज़्यादा होती है. हमें कदम कदम पर सेटबैक मिलता है. मैं अपने निजी अनुभवों से बोल सकती हूं. अभी तो रांची बहुत बदल गया है लड़कियां बहुत अच्छा कर रही हैं लेकिन आज से बीस साल पहले ऐसा नहीं था. मैं हमेशा से सिर्फ शादी करके बच्चे पैदा नहीं करना चाहती है. मैं अपने पैरों पर खड़ी होना चाहती थी लेकिन समाज को इससे दिक्कत थी रिश्तेदारों को भी. बुरा क्या लगता है कि हम लड़कियों के फैसले कोई दूसरा लेता है लेकिन हां सबके विरोध के बावजूद मेरे परिवार ने मुझे सपोर्ट किया तो ही मैं रांची से दिल्ली अपने कैरियर के लिए जा पायी. हमारे समाज में लड़के लड़कियों के अधिकार में बहुत अंतर हैं. मुझे उससे दिक्कत होती है. लड़कियां अपनी ज़िंदगी के फैसले क्यों नहीं कर सकती. मेरी जर्नी बताती है कि हर माता पिता को समाज की परवाह ना करते हुए अपनी बेटियों के सपनों को पूरा करने में उनका सपोर्ट करना चाहिए. मैंने हमेशा सही फैसला लिया ऐसा भी नहीं कई बार असफल भी हुई लेकिन परिवार के सपोर्ट की वजह से मैं फिर उठ खड़ी हुई.
मैं रॉयल एनफील्ड में काम करती हूं जो आइकॉनिक मोटरसाइकिल बुलेट बनाती हैं. जो भारत की पहली पसंद है. मैं गर्व से कहती हूं कि मैं इस कंपनी में काम करती हूं. मैं इंटरनल कम्युनिकेशन डिपार्टमेंट की लीडर हूं.
बहुत ही शानदार ,वे इतने बड़े कलाकार हैं लेकिन वह एकदम आपसे घुलमिल जाते हैं. वह आपसे आपकी रुचि के अनुसार ही बात करनी है. जो भी बातें वह शो के दौरान करते हैं. वह उनके दिल और दिमाग की उपज होती है. आप उनसे उनकी तारीफ करेंगे तो वह आप की खूबियां बताने लगते हैं. मेरे लिए मेरी ज़िंदगी का सबसे आइकॉनिक मोमेंट वो था जब मिस्टर बच्चन ने मुझे कहा कि नाज़िया मुझे आप पर गर्व है.
शो के दौरान नहीं लेकिन जब होटल में मैं इंतज़ार कर रही थी कि मुझे कल खेलना है तो मैं बहुत नर्वस थी पूरी रात सो नहीं पायी थी. हॉट सीट आने के बाद मेरी घबराहट खत्म हो गयी. मेरा जॉब कुछ ऐसा है कि मुझे बहुत कैमरे का सामना करना पड़ता है इसलिए मैं उसे लेकर बहुत सहज थी. जहां तक सवालों की बात है तो मेरे लिए स्लमडॉग मिलेनियर वाला मोमेंट था कई सवाल थे जो मैंने कहीं पढ़ा,सुना था तो मैं उनसे कनेक्ट होती गयी और जवाब देती चली गयी. वैसे केबीसी की पूरी टीम बहुत सपोर्टिव है. वो आपको मोटिवेट करती रहती है कि आपको जो मौका मिला है. उसका आप ज़्यादा से ज़्यादा फायदा उठा सके.
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