झारखंड में कोरोना से सबसे अधिक मौतें पूर्वी सिंहभूम जिले में हुई है। यहां चौंकाने वाली रिपोर्ट भी सामने आई है, जिसपर अधिकांश लोगों को भरोसा नहीं हो रहा है। इसे लेकर हो-हंगामा भी हो रहा है। लेकिन, रिपोर्ट सोलह आने सच है। पैथोलॉजी जांच रिपोर्ट में इसकी पुष्टि हो रही है। चिकित्सक भी इसे सही ठहरा रहे हैं और उसके आधार पर ही इलाज भी संभव हो रहा है। दरअसल, कोरोना के गंभीर मरीजों में 20 फीसद रोगी वैसे पाए गए हैं जिन्हें पहले कभी भी मधुमेह नहीं था।
कोरोना के बाद जब उनकी जांच कराई गई तो शुगर लेवल 400 से 600 एमजी तक पहुंच गई, जिसे हाइपरग्लाइसीमिया कहते है। इस रिपोर्ट पर 80 फीसद मरीजों को भरोसा नहीं हो रहा है। उनका कहना है कि वे शुगर के मरीज थे हीं नहीं तो इतना अधिक कैसे बढ़ गया। कई एेसे मरीजों को जब एक पैथोलॉजी की रिपोर्ट पर भरोसा नहीं हुई तो वे दूसरे पैथोलॉजी में भी जांच कराई लेकिन, रिपोर्ट में कोई परिवर्तन नहीं आया। इन मरीजों में अचानक से शुगर का लेवल अत्याधिक हाई होने की वजह से उनमें भ्रम की स्थिति है और वे रिपोर्ट पर भी सवाल उठा रहे है। महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज अस्पताल में एक कोरोना संक्रमित मरीज भर्ती है जिसका शुगर लेवल बढ़कर 600 एमजी तक पहुंच गया है। इस मरीज को भी पहले शुगर नहीं था।
अब आचानक से शुगर का लेबल इतना बढ़ गया है तो उसे भरोसा नहीं हो रहा है। पहली रिपोर्ट पर भरोसा नहीं हुअा तो उन्होंने दोबोरा जांच कराई लेकिन उसमें भी रिपोर्ट जस की तस आई। इसके बाद वे अपनी बातों को इलाज कर रहे डाक्टर के सामने भी रखीं। इसके बाद उन्हें समझाया गया और उसके बाद इंसुलिन शुरु किया गया है। फिलहाल शुगर लेवल पहले से कम हुआ है।
विशेषज्ञों के अनुसार, कोरोना मरीजों में 250 से अधिक शुगर गंभीर माना जाता है। इसकी वजह से किडनी डिसऑर्डर, आंखों के रेटिना पर असर, हार्ट पर विपरीत असर, हेपेटाइटिस, लीवर, मानसिक संतुलन खोना, बेचैनी और चक्कर आने जैसी कई समस्याएं उत्पन्न हो जाती है, जिससे मरीजों की जान तक चले जाती है। पूर्वी सिंहभूम जिले में कोरोना मरीजों की हुई मौत में अधिकांश मधुमेह रोग से ग्रस्त थे।
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