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सरना समाज के हक-अधिकार के लिए नहीं रुकेंगे कदम : मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन

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मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा है कि सरना आदिवासी धर्मकोड का प्रस्ताव झारखंड विधानसभा से पारित कराने के बाद भी कई लड़ाइयां लड़नी बाकी हैं. केंद्र सरकार से हर हाल में यह प्रस्ताव लागू कराना है. उसके बाद ही आगामी जनगणना में सरना आदिवासी धर्मकोड शामिल होगा. धर्मकोड लागू कराने के लिए राज्य सरकार ने विस्तृत कार्य योजना तैयार की है.

आदिवासी सरना समाज को उसका हक और अधिकार दिलाने के लिए हम हमेशा आगे बढ़ते रहेंगे. श्री सोरेन विधानसभा से सरना आदिवासी धर्म कोड का प्रस्ताव पारित होने पर मिलने पहुंचे राष्ट्रीय आदिवासी सरना धर्म रक्षा अभियान के प्रतिनिधिमंडल से बातें कर रहे थे.

आदिवासी सरना धर्म रक्षा अभियान के सदस्यों ने मुख्यमंत्री का आभार जताया तथा उन्हें शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया. मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड विधानसभा से सरना आदिवासी धर्मकोड का प्रस्ताव पारित होने को लेकर झारखंड के अलावा पश्चिम बंगाल और ओड़िशा समेत कई अन्य इलाकों के लोग भी उत्साहित हैं. झारखंड सरकार द्वारा बढ़ाये गये कदम की गूंज पूरे देश में सुनाई देगी. उन्होंने कहा कि आदिवासी सरना धर्मकोड लागू करने में अभी भी कई अड़चनें हैंं.

इन बाधाओं को दूर करने पर आदिवासी समाज का प्रतिनिधित्व करने वाले संगठनों के साथ विमर्श किया जायेगा. जनजातीय परामर्श दात्री परिषद (टीएसी) का गठन कर आदिवासी हितों को पूरा करने पर मशविरा किया जायेगा. यह मामला पार्टी और धर्म से ऊपर है. इसमें सभी का सहयोग लिया जा रहा है.

मुख्यमंत्री ने आदिवासी समाज को राष्ट्रीय स्तर पर एकजुट होने की जरूरत बतायी. कहा कि बदलते वक्त के साथ आदिवासी समाज का जनप्रतिनिधित्व पंचायत से आगे निकल कर राष्ट्रीय स्तर पर बढ़ रहा है. यह सुखद संदेश है. आदिवासी समाज ने बहुत संघर्ष किया है. लेकिन, अभी बहुत कुछ करना बाकी है. आदिवासी समाज के बौद्धिक, सामाजिक, राजनीतिक व सांस्कृतिक विकास के लिए कई और मोर्चों पर लड़ाइयां लड़नी है.

आदिवासियों की समृद्ध कला, संस्कृति और परंपरा को अक्षुण्ण रखने के साथ उसे विश्वस्तर पर पहचान दिलाने का प्रयास किया जा रहा है. मुख्यमंत्री ने कहा कि आदिवासी समाज संघर्ष का परिचायक है. गुलाम भारत में आदिवासी वीरों ने देश की आजादी के लिये हुंकार भरी थी. अपनी जान की परवाह किये बगैर अंग्रेजों से लोहा लिया था.