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मध्यप्रदेश में वोटर लिस्ट से 24 लाख मतदाताओं की छुट्टी

भोपाल: मध्यप्रदेश में मतदाता सूची में कथित फर्जीवाड़े की खबर हमने प्रमुखता से दिखाई थी. अब चुनाव आयोग ने खुद माना है कि पिछले 2 महीने में 24 लाख लोगों के नाम मतदाता सूची से हटाए गए हैं. इस दौरान 11 लाख 40 हजार नए मतदाताओं के नाम जुड़े भी हैं. इसके बाद राज्य में कुल मतदाता 4 करोड़ 94 लाख 42 हजार रह गए हैं. इस सूची में 30 जून तक जोड़े गए मतदाता शामिल हैं.
मई में हमने प्रमुखता से बताया था कि कैसे मध्यप्रदेश में कई बूथों में कई कार्ड एक तस्वीर से बन गये. एक पोलिंग बूथ पर तो एक तस्वीर पर महिला-पुरुष समेत 36 कार्ड एक तस्वीर से बनाये गए. हमने खबर दिखाई तो कांग्रेस दस्तावेजों का पुलिंदा लेकर दिल्ली मुख्य चुनाव आयोग तक पहुंची और कहा कि उन्हें लगता है राज्य में 60 लाख फर्जी मतदाता हैं. लेकिन तब मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी ने इस संख्या को बहुत कम बताते हुए कहा था नहीं-नहीं ऐसा बिल्कुल भी नहीं है, ये संख्या बहुत ज्यादा है हमारे हिसाब से 3-4 लाख एएसडीआर हैं.
हालांकि अधिकारी बदले तो 2 महीने में ये संख्या 24 लाख तक जा पहुंची. आयोग का कहना है चुनावी साल में ये प्रक्रिया निरंतर चलती है. मौजूदा मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी वीएल कांता राव ने कहा, ‘हम 1 करोड़ 18 लाख घरों में गए. मई-जून में, 50 लाख फॉर्म भरवाए. उसमें नाम जोड़ना भी था, घटाना भी, संशोधन भी. इसमें 11 लाख का नाम जोड़ना था, 24 लाख में नाम घटाना था. ये बात सही है कि कांग्रेस की शिकायत आई थी उसपर कार्रवाई की, जवाब भी दिया, लेकिन जनवरी से जुलाई तक हर महीने में लगातार अपडेट किया है. उसी का परिणाम है कि शुद्ध मतदाता सूची लेकर हैं.
इस बदलाव की व्याख्या, सत्ताधारी और विपक्ष अपने तरीके से कर रहा है. कांग्रेस को चुनाव आयोग की भूमिका पर ऐतराज है तो बीजेपी को नाज. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव ने कहा, हमने जो आंकड़ा दिया है 60 लाख है, देखिये वो होता है तो जिम्मेदारी निर्वाचन की है. हर साल नाम जोड़े-घटाए जाते हैं. इसका मतलब है कि उनका काम ठीक से हुआ नहीं. इतनी बड़ी संख्या कैसे हो सकती है. अब कम से कम जो अपात्र हैं वो निकलेंगे बाहर.
टिप्पणियां वहीं बीजेपी प्रवक्ता राहुल कोठारी ने कहा निर्वाचन आयोग स्वतंत्र और निष्पक्ष एजेंसी है. पहले भी कई बार पुनरीक्षण हुआ है. उसमें जो नाम सामने आते थे वो हटे हैं. इस बार भी हुआ है. इस बार भी 11 लाख नाम जुड़े हैं. हमें लगता है एजेंसियां निष्पक्षता से काम कर रही हैं. कांग्रेस का आरोप झूठा था तथ्य नहीं थे ये जो आंकड़े आए हैं. रूटीन प्रक्रिया है इसका कांग्रेस के आरोप से कोई लेना देना नहीं है.
आयोग द्वारा जारी किए गए ड्रॉफ्ट में खास ये भी है कि, पांच साल यानी 2013 की वोटर लिस्ट में 4 करोड़ 66 लाख मतदाता थे. 31 जुलाई 2018 को मतदाताओं की संख्या 4 करोड़ 94 लाख 42 हजार है. इस हिसाब से सिर्फ 28 लाख वोटर ही बढ़े. इससे पहले 2008 से 2013 के बीच मतदाता सूची में रिकॉर्ड 1 करोड़ 5 लाख नए नाम जुड़े थे. इन पांच सालों में मतदाताओं में हुई रिकॉर्ड बढ़ोतरी की अब तक जांच जारी है.