एक दिन पहले जिन छठ घाटों पर हम आस्था और श्रृद्धा का महापर्व मना रहे थे, उन्हीं तालाबों और पोखरों में जगह-जगह आज गंदगी का अंबार लगा हुआ है। पूजा के पूर्व जहां प्रशासन तालाबों और नदी तटों की सफाई में जुटा हुआ था, वहीं पूजा समाप्त होने के बाद तालाबों की साफ-सफाई के प्रति प्रशासन उदासीन है। इस तरह जिले में प्रधानमंत्री के स्वच्छता अभियान की हवा निकल गई है।
हालांकि यह शहर के लोगों की भी नैतिक जिम्मेदारी है कि जिस नदी, तालाब और पोखर को वे पवित्र मानकर पूजा कर रहे थे, वहां गंदगी न फैलाएं। छठ पूजा के दौरान प्रकृति संरक्षण के महत्व का बखान किया गया। लेकिन पूजा समाप्त होने के बाद तालाबों में गंदगी का अंबार लग गया है। फूल, गन्ने के पत्ते, दीपक, अगरबत्ती के पैकेट के अलावा तटों पर बड़े पैमाने पर दोना-पत्तल, टूटे-फूटे खिलौने सहित अन्य तरीके के कचरे का ढेर लगा हुआ है।
छठ को लेकर लोगों में काफी उत्साह रहा। व्रत के बहाने तालाबों की साफ-सफाई के प्रति जागरूकता का संदेश दिखाई दिया। शहर के बनस तालाब, जेल तलाब, चडरी तालाब सहित अन्य तालाबों को स्वयंसेवी संस्थाओं ने खूब साफ किया। यही नहीं नगर निगम ने भी इसमें सहयोग किया। अब हर जगह गंदगी फैली हुई है।
कोरोना को लेकर सरकारी गाइडलाइन न आने के बावजूद नगर निगम के साथ कई पूजा समितियों के द्वारा छठ पूजा के लिए तालाबों और घाटों की सफाई की गई थी। इसमें निगम की तरफ से 150 से अधिक सफाई कर्मियों को लगाया था। इसके अलावा विभिन्न वार्डों के सुपरवाइजर को सभी तालाबों की गंदगी दूर करने का निर्देश दिया गया था। साथ ही पूजा समितियों और स्वयंसेवी संस्थाओं के सदस्यों ने युद्धस्तर पर अभियान चलाकर सफाई की थी। मगर वर्तमान में किसी संगठन या निगम के द्वारा तालाबों की सफाई के लिए कोई कार्य नहीं किया जा रहा है।
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