चेन्नई. तमिलनाडु के 5 बार सीएम रह चुके डीएमके अध्यक्ष एम करुणानिधि का मंगलवार को शाम कावेरी अस्पताल में निधन हो गया. करुणानिधि पिछले दस दिनों से अस्पताल भर्ती थे. ये खबर सुनने के बाद बड़ी संख्या में पार्टी समर्थक अस्पताल के बाहर एकत्र हो गए, जिनमें से कई रोते हुए भी दिखाई दिए.
इससे पहले डीएमके के कई नेताओं ने अस्पताल पहुंचकर करुणानिधि का हालचाल लिया. दोपहर में अस्पताल द्वारा जारी बयान में कहा गया था कि 94 वर्षीय करुणानिधि को मेडिकल सपोर्ट पर रखा गया है और उनके स्वास्थ्य की निगरानी की जा रही है.
उनकी हालात लगातार बिगड़ती गई और शाम को 6.10 पर उन्होंने अंतिम सांस ली. करुणानिधि के शव को गोपालपुरम ले जाया जाएगा. बुधवार सुबह राजाजी हॉल में अंतिम दर्शन के लिए रखा जाएगा शव. करुणानिधि 94 साल के थे. पीएम मोदी ने ट्वीट कर डीएमके चीफ करुणानिधि के निधन पर शोक जताया. वहीं, राष्ट्रपति ने ट्वीट कर करुणानिधि के निधन पर शोक व्यक्त किया है.
देश की राजनीति में करुणानिधि और उनकी पार्टी का अमिट योगदान रहा है. करुणानिधि के निधन पर तमाम नेताओं ने दुख जताया है. करुणनिधि के निधन की खबर फैलते ही उनके चाहने वालों और तमाम दलों के नेताओं की भीड़ उनके आवास पर जुटने लगी है. अस्पताल के बाहर हजारों की संख्या में गमगीन समर्थक अपने कद्दावर नेता की अंतिम झलक पाने के लिए टकटकी लगाए हुए हैं.
तेज बारिश के बावजूद लोगों की भीड़ असप्ताल के बाहर जुटी हुई है. भीड़ को संभालने के लिए प्रशासन ने अस्पताल के बाहर भारी तादाद में पुलिसबल तैनात किया है. वहीं करुणानिधि के गोपालपुरम आवास के बाहर भी प्रशासन ने पुलिसबल तैनात कर दिया है. राजारथिनम स्टेडियम में सुरक्षा बल के 500 और तमिलनाडु स्पेशल फोर्स के 700 जवानों को तैनात किया गया है.
ऐसे आए थे राजनीति में
अलागिरिस्वामी के भाषणों के करुणानिधि मुरीद थे. अलागिरिस्वामी के भाषण की वजह से ही राजनीति की ओर उनकी रूचि बढ़ने लगी थी. 1938 में 14 साल की कच्ची उम्र में करुणानिधि ने जस्टिस पार्टी का दामन थाम लिया था. जब डीएमके के संस्थापक सी. एन. अन्नादुरई अपने राजनीतिक गुरु ई. वी. रामास्वामी से अलग हुए, तब करुणानिधि उनके साथ आए और पार्टी के संस्थापक सदस्यों में से एक बने.
1957 में मिली थी पहली जीत
करुणानिधि को उनके राजनीतिक करियर में पहली बार 1957 में सफलता मिली थी. तब उन्होंने करुर जिले की कुलिथली विधानसभा सीट से चुनाव जीता था. इस जीत के बाद उन्हें पहली बार तमिलनाडु विधानसभा में प्रवेश करने का मौका मिला. 1962 में वह विधानसभा में विपक्ष के उपनेता बने. 1967 में तमिलनाडु की अन्नादुरई सरकार में वह पहली बार मंत्री बने.
1969 में चुने गए डीएमके प्रमुख
1969 में कैंसर से पीड़ित अन्नादुरई की मौत हो गई थी. तब करुणानिधि उनके राजनीतिक उत्तराधिकारी बने. इसके बाद वे मुख्यमंत्री बने फिर पार्टी के प्रमुख भी चुने गए.
Nationalism Always Empower People
More Stories
कांग्रेस ने हरियाणा लोकसभा चुनाव के लिए दिग्गजों की घोषणा की: सिरसा में शैलजा बनाम तंवर, रोहतक के लिए हुड्डा |
बिहार के पटना में 4 बाइक सवार हमलावरों ने जेडीयू युवा नेता की गोली मारकर हत्या कर दी
आंध्र प्रदेश के सोमसिला जंगल में जंगल की आग भड़की, आग बुझाने के प्रयास जारी |