नई दिल्ली. आज एनजीटी(NGT) ने बड़ा आदेश देते हुए पश्चिमी उत्तर प्रदेश के छह जिलों में काली, कृष्णा और हिंडन नदियों को प्रदूषित कर रहीं 124 औद्योगिक इकाइयों को बंद करने और उनके खिलाफ केस दर्ज करने के आदेश दिए. एनजीटी अध्यक्ष जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली बैंच ने कहा कि लोगों को स्वच्छ हवा और पानी प्राप्त करने का बुनियादी अधिकार है. बैंच ने गाजियाबाद, बागपत, मुज्जफरनगर, सहारनपुर, गौतमबुद्दनगर, शामली और मेरठ के जिला मजिस्ट्रेटों को निर्देश दिया कि ग्रामीणों को समयबद्ध तरीके से पेयजल प्रदान करने की कार्ययोजना पेश की जाए.
एनजीटी दूषित पानी देने वाले हैंडपम्प भी सील किये जायें इसके साथ ही एनजीटी ने उत्तर प्रदेश सरकार को उन सभी हैंडपम्पों को भी तुरंत सील करने के निर्देश दिए जिनसे दूषित पानी निकल रहा है. उन्होंने काली, कृष्णा तथा हिंडन नदियों की सफाई के लिए कार्ययोजना पेश करने को भी कहा. एनजीटी ने राज्य सरकार से दूषित पानी पीने से होने वाली बीमारियों से पीड़ित लोगों के लिए स्वास्थ्य लाभ योजनाएं बनाने को भी कहा. याचिकाकर्ता एनजीओ दोआबा पर्यावरण समिति की तरफ से वकील गौरव कुमार बंसल ने कहा कि अधिकारियों के चिंताजनक रवैये की वजह से बच्चे मरकरी और आर्सेनिक से दूषित पेयजल पीने को मजबूर हैं, जिससे कैंसर जैसी गंभीर बीमारियां हो रही हैं.
एनजीटी ने दक्षिण दिल्ली में पेड़ काटने पर सुनवाई टाली एनजीटी ने दक्षिण दिल्ली की सात कॉलोनियों में पेड़ काटे जाने के प्रस्ताव पर रोक लगाने की मांग करने वाली एक याचिका पर सुनवाई टालते हुए बुधवार को कहा कि अलग-अलग कानूनी फोरम में एक ही मुद्दे पर एक साथ विचार करना उचित नहीं है. एनजीटी अध्यक्ष जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली बैंच ने कहा कि दिल्ली हाईकोर्ट में इस मुद्दे पर पहले ही सुनवाई चल रही है और समांतर कार्यवाही से बचा जाना चाहिए. बैंच में जस्टिस जवाद रहीम और जस्टिस एस.पी. वांगडी भी शामिल हैं. ग्रीन पैनल ने कहा कि जब हाईकोर्ट इस मामले पर फैसला कर लेगा तो वह इस मुद्दे को देखेगा.
बैंच ने कहा कि इसी मुद्दे पर चार जुलाई को दिल्ली हाईकोर्ट का आदेश है. एक ही मुद्दे पर अलग-अलग कानूनी फोरम पर एक साथ विचार करना उचित नहीं है. इसके अनुसार हम सुनवाई टालते हैं. इससे पहले एनजीटी ने आवासीय एवं शहरी विकास मंत्रालय और राष्ट्रीय भवन निर्माण निगम (एनबीसीसी) द्वारा दक्षिण दिल्ली की सात कॉलोनियों में पेड़ काटने पर यथास्थिति बरकरार रखने का आदेश दिया था. सुनवाई के आखिरी दिन एनजीटी ने कहा कि एक भी पेड़ नहीं काटा जाएगा और अगले आदेश तक पेड़ काटने पर यथास्थिति बरकरार रहे.
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