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संस्कृत शिक्षक नियुक्ति मामले में हाइकोर्ट ने मांगा था जवाब, जेएसएससी ने कहा : भूलवश दाखिल नहीं किया गया जवाब

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झारखंड हाइकोर्ट के जस्टिस संजय कुमार द्विवेदी की अदालत ने हाइस्कूल में संयुक्त स्नातक स्तरीय प्रशिक्षित संस्कृत शिक्षक के नियुक्ति मामले में दायर याचिका पर सुनवाई की. अदालत ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से मामले की सुनवाई के दौरान पाया कि डेढ़ वर्ष बीत जाने के बाद भी सरकार व झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (जेएसएससी) की अोर से जवाब दायर नहीं किया गया है.

अदालत ने आयोग के अधिवक्ता के आग्रह को स्वीकार कर जवाब दायर करने के लिए दो सप्ताह का समय प्रदान किया. इससे पूर्व प्रार्थी की अोर से अधिवक्ता अनूप कुमार अग्रवाल ने अदालत को बताया कि फरवरी 2019 में अदालत ने सरकार व जेएसएससी को शपथ पत्र दायर करने का निर्देश दिया था, जिसे अब तक दायर नहीं किया गया है. इस पर जेएसएससी की अोर से अधिवक्ता संजय पिपरवाल ने माफी मांगते हुए कहा कि भूलवश जवाब दायर नहीं हो पाया है.

इसके लिए उन्होंने अदालत से समय देने का आग्रह किया. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी मनोज रजक ने याचिका दायर की है. उन्होंने नियुक्ति के लिए जेएसएससी को अनुशंसा भेजने का आदेश देने की मांग की है. याचिका में कहा है कि आयोग ने उनकी अभ्यर्थिता यह कहते हुए रद्द कर दी है कि इनकी उम्र एक जनवरी 2016 को 46वें वर्ष में प्रवेश कर गयी है, जबकि आवेदक का कहना है कि आवेदन के समय उनकी उम्र 46 वर्ष थी, जो विज्ञापन की शर्तों के अनुरूप है.

रांची. वन, पर्यावरण व क्लाइमेट चेंज विभाग में कई वरीय पद महीनों से रिक्त हैं. पदों के खाली रहने से जनहित के मुद्दे प्रभावित हो रहे हैं. इसको लेकर वन प्रमंडल पाकुड़ के रेंज अफसर अनिल कुमार सिंह ने झारखंड हाइकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है. उन्होंने सिविल सर्विसेज बोर्ड की बैठक बुलाकर अविलंब रिक्त पदों को भरने की मांग की है. याचिका में प्रार्थी ने कहा है कि प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन्य जीव सह वाइल्ड लाइफ वार्डन का पद महीनों से खाली है.

एसीसीएफ (मानव संसाधन विकास), एसीसीएफ (अनुसंधान व प्रशिक्षण), वन प्रमंडल पदाधिकारी पाकुड़, वन प्रमंडल पदाधिकारी चतरा (दक्षिणी) सहित कई पद रिक्त हैं. पद रिक्त रहने के कारण मजदूरों को मजदूरी का भी भुगतान नहीं हो पा रहा है. श्री सिंह ने हाइकोर्ट से सरकार को उचित आदेश देने की गुहार लगायी है.

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