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झारखंड की राजधानी रांची से पुजार‍ियों का भंग हो रहा मोह, अब गांव लौटने की कर रहे तैयारी

अनलाक में झारखंड सरकार द्वारा मंदिरों को खोलने का आदेश दे दिया गया है। मगर अभी तक स्थितियां सामान्य नहीं हुई हैं। बड़े मंदिरों में तो थोड़े बहुत श्रद्धालु पहुंच भी रहे हैं, मगर शहर के छोटे मंदिर से अभी भी भक्त गायब हैं। उधर, लोग अपने घरों में भी मुश्किल से पूजा-पाठ के लिए पुजार‍ियों को बुला रहे हैं। भक्‍त आर्थिक तंगी का हवाला देते हुए दान भी कम दे रहे हैं। ऐसे में पुजारियों के सामाने आजीविका को लेकर बड़ी समस्या खड़ी हो गई है। शहर में रहने वाले वैसे पुजारी जिनके पास गांव में कुछ जमीन है, वापसी की तैयारी में जुट गए हैं। ऐसे पुजार‍ियों का कहना है कि कितने दिन भूखे पेट यहां रहेंगे। कोरोना संक्रमण की स्थिति सामान्य होने पर फिर राजधानी लौट आएंगे।

चुटिया राम मंदिर के पुजारी बताते हैं कि नवरात्र में हर वर्ष इतना दान मिल जाता था कि तीन चार महीने आराम से काम चल जाए। मगर इस वर्ष लोग भी कम आए और जो आए खुद की आर्थिक तंगी के कारण खुलकर दान नहीं दे पाए। मंदिरों में प्रतिदिन चढने वाले दान में भारी कमी आई है। ऐसे में पुजार‍ियों के सामने खाने पीने तक की बड़ी समस्या खड़ी हो गई है।  वहीं, गिरिधारी पंडित बताते हैं कि पहले पूर्णिमा पर कम से कम आठ से 10 घरों में पूजा करना जाते थे। मगर कोरोना संक्रमण के भय से लोगों ने पूजा कराना बंद कर दिया है। अब घरों में वही पूजा हो रही है जो बेहतद जरूरी है। शादी और श्राद्ध कर्म में भी अब ज्यादा दान नहीं मिल रहा है। ऐसे में अब कई पंडितों ने दूसरे रोजगार की तरफ भी देखना शुरू कर दिया है। शहर के लगभग मंदिरों और वहां के पुजारियों की स्थिति ऐसी है। हालांकि, जब तक स्थिति सामान्य नहीं होगी इनकी आय पर लाकडाउन लगा ही रहेगा।