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भारत रत्न वाजपेयी 'अटल मृत्यु' से हारे

नई दिल्ली. पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी हमारे बीच नहीं रहे. 93 साल के अटलजी ने दिल्ली के AIIMS में 5 बजकर 5 मिनट पर आखिरी सांस ली. पीएम मोदी ने दुःख व्यक्त करते हुए कहा कि मैं नि:शब्द हूं, शून्य में हूं, लेकिन भावनाओं का ज्वार उमड़ रहा है. हम सभी के श्रद्धेय अटल जी हमारे बीच नहीं रहे. अपने जीवन का प्रत्येक पल उन्होंने राष्ट्र को समर्पित कर दिया था. उनका जाना, एक युग का अंत है.
11 जून को अटलजी को (किडनी) नली में संक्रमण, छाती में जकड़न, मूत्रनली में संक्रमण जैसी स्वास्थ्य समस्याओं के बाद AIIMS में भर्ती कराया गया था. उसके बाद से ही उनकी स्थिति गंभीर बनी हुई थी. बुधवार देर रात AIIMS की ओर से जारी प्रेस रिलीज में कहा गया था कि उनकी हालत बेहद नाजुक है और उनके लाइफ स्पोर्ट सिस्टम पर रखा गया है. इसके बाद से ही एम्स में उनके समर्थकों और नेताओं के पहुंचने का सिलसिला तेज हो गया. खुद प्रधानमंत्री ने  AIIMS जाकर उनका हालचाल जाना.
करीबन14 साल से अटलजी की तबियत खराब थी. जैसे-जैसे उनकी सेहत गिरती गई, धीरे-धीरे उन्होंने खुद को सार्वजनिक जीवन से दूर कर लिया. वाजपेयीजी करीब 8 साल से बिस्तर पर हैं.  उनकी आखिरी तस्वीर तीन साल पहले 2015 में दिखी थी. मार्च 2015 में वाजपेयी को तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के हाथों दिल्ली स्थित उनके घर पर भारत रत्न से सम्मानित किया गया. प्रधानमंत्री पद छोड़ने के बाद वाजपेयी अब तक कृष्ण मेनन मार्ग स्थित आवास में अपनी दत्तक पुत्री नमिता भट्टाचार्य के साथ रहते रहे.
आपको बता दें कि मधुमेह के शिकार 93 वर्षीय BJP नेता का एक ही गुर्दा काम करता है. 2009 में उन्हें स्ट्रोक आया था जिसके बाद उनकी सोचने-समझने की क्षमता कमजोर हो गई. बाद में वह डिमेंशिया से भी पीड़ित हो गए. अटल बिहारी वाजपेयी साल 2005 में आखिरी बार किसी जनसभा को संबोधित किया था. इस जनसभा में वाजपेयी ने सबसे छोटा भाषण दिया था. इस जनसभा में उन्होंने चुनावी राजनीति से संन्यास की घोषणा की थी. वाजपेयी उस वक्त भी लखनऊ से सांसद थे.