झारखंड हाई कोर्ट में बीआइटी मेसरा की ओर से रुदिया गांव की जमीन की मापी करने के खिलाफ दाखिल याचिका पर आज सुनवाई हुई। सुनवाई के बाद जस्टिस राजेश शंकर की अदालत ने इस मामले को कांके सीओ के यहां भेजते हुए कहा कि तीन माह में सीओ इस पूरे मामले की जांच कर उचित आदेश पारित करे। इसके अलावा हाई कोर्ट ने बीआइटी मेसरा की ओर से जमीन मापी की कार्रवाई पर रोक लगा दी है।
दरअसल, रुदिया गांव के रैयती करमू मुंडा व अन्य ने इस संबंध में झारखंड हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की है। याचिका में कहा गया है कि बीआइटी मेसरा ने अपनी वेबसाइट पर आम सूचना निकाली कि उनकी ओर से 779 एकड़ जमीन अधिग्रहित की गई है और इसकी नापी की जाएगी। इसके बाद अक्टूबर माह में जमीन की नापी की कार्रवाई शुरू कर दी गई।
इसके खिलाफ रुदिया गांव के लोगों ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर नापी का विरोध किया। सुनवाई के दौरान ग्रामीणों के अधिवक्ता निरंजन कुमार ने अदालत को बताया कि बीआइटी मेसरा की ओर से जिस जमीन की मापी की जा रही है, वह रुदिया गांव के लोगों की रैयती जमीन है। कई पुश्तों से गांव के लोग वहां पर रह रहे हैं। ऐसे में बीआइटी मेसरा का उक्त जमीन पर दावा गलत है, क्योंकि इसके लिए बीआइटी मेसरा की ओर से कोई कागजात भी नहीं दिखाया गया है।
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