प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज ने संसद भवन का भूमिपूजन किया और आधारशिला रखी. चार मंजिला नये संसद भवन का निर्माण कार्य भारत की स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ तक पूरा कर लिए जाने की संभावना है.
भूमि पूजन के बाद संबोधन में पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि पुराने संसद भवन ने स्वतंत्रता के बाद के भारत को दिशा दी, तो नया भवन आत्मनिर्भर भारत के निर्माण का गवाह बनेगा. पुराने संसद भवन में देश की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए काम हुआ, नए भवन में 21 वीं सदी के भारत की आकांक्षाएं पूरी की जाएंगी.
पीएम मोदी ने कहा कि गुरु नानकदेव ने कहा है कि जब तक संसार रहे तबतक संवाद चलते रहना चाहिए. कुछ कहना और कुछ सुनना, यही तो संवाद का प्राण है. यही लोकतंत्र की आत्मा है, पॉलिसी में अंतर हो सकता है, राजनीति में भिन्नता हो सकती है, लेकिन हम पब्लिक की सेवा के लिए हैं और इस अंतिम लक्ष्य में कोई मतभेद नहीं होना चाहिए. वाद संवाद संसद के भीतर हो या बाहर, राष्ट्रसेवा का संकल्प राष्ट्रहित के प्रति समर्पण लगातार झलकना चाहिए.
उन्होंने कहा कि आज जब नए संसद भवन का निर्माण शुरू हो रहा है तो हमें याद रखना है कि जो लोकतंत्र संसद भवन के अस्तित्व का आधार है, उसके प्रति आशावाद को जगाए रखना हम सभी का दायित्व है. हमे हमेशा याद रखना है कि संसद पहुंचा हर प्रतिनिधि जवाबदेह है और यह जवाबदेही जनता के प्रति तो है साथ में संविधान के प्रति भी है. हमारा हर फैसला राष्ट्र प्रथम की भावना होना चाहिए और हर फैसले में राष्ट्रहित सर्वोपरि होना चाहिए. राष्ट्रीय संकल्पों की सिद्धी के लिए हम एक स्वर में एक आवाज में खड़े हो यह बहुत जरूरी है.
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