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Editorial :- ये जनता के रक्षक हैं या भक्षक

१७ जून २०१३ को उत्तराखंड में आई थी बाढ़ त्रासदी तुरंत उसके बाद राहुल गांधी हवाई जहाज से उड़ गये थे विदेश छुट्टी मनाने। छुट्टी मनाने के बाद २५ जून को लौट सीधे सेना के वायुयान में बैठ उसी प्रकार से हवाई सर्वे करने पर अमादा थे जैसे अभी बाढ़ ग्रस्त कर्नाटक का  शर्मनाक दृश्य उपस्थित कर हवाई सर्वे पेपर पढ़ते हुए किया सीएम कुमार स्वामी ने।
लगभग दो हफ्ते पहले उत्तराखंड से बाढ़ और विनाश की खबर चल रही थी। फिर भी, यह समझाने के लिए बहुत कम तर्क है कि उन्होंने प्रतिक्रिया क्यों दी और इस देर से राज्य की यात्रा क्यों की। विवादित रिपोर्टों से पता चलता है कि जब घटना हुई थी तब गांधी देश से बाहर हो गए थे और यह देरी के लिए जिम्मेदार था।
यहां तक कि अगर हम नेतृत्व और मानवता के मुद्दों को अलग करते हैं, तो बुद्धिमान राजनेता के सबसे राज्य की यात्रा क्यों की। विवादित रिपोर्टों से पता चलता है कि जब घटना हुई थी तब गांधी देश से बाहर हो गए थे और यह देरी के लिए जिम्मेदार था।
राहुल, जैसे कि ट्विटर पर किशोर पप्पूफुकू बन्दर की भावना का पालन करते हुए, लगभग काम करते थे जैसे कि वह नरेंद्र मोदी को गुजरात के मुख्यमंत्री को एक अपर्याप्तता के खेल में फेंकने से पहले अपने कार्ड दिखाने की प्रतीक्षा कर रहे थे। इसलिए, मोदी ने उत्तराखंड में उड़ान भरने वाले विमानों और लक्जरी बसों के साथ सशस्त्र उड़ान भरने के एक दिन बाद गुजराती तीर्थयात्रियों को अपने दुख से दूर कर दिया, राहुल और सोनिया ने आधिकारिक तौर पर राज्य को राहत सामग्री से भरे 25 ट्रकों को ध्वजांकित कर दिया।
२५ जून को विदेश यात्रा कर राहुल गांधी लौटे और सीधे सेना के वायुयान पर बैठ गये।
जनता के टैक्स के लाखों रुपए कुमारस्वामी ने पानी में फेंक दिए, एयरफोर्स के अधिकारी भी देखते रहे।
कुमार स्वामी राहुल गांधी के पदचिन्हों पर चल कर बाढ़ ग्रस्त हवाई सर्वे करने विमान पर बैठे जरूर पर पढ़ते रहे अखबार।
ये जनता के रक्षक हैं या भक्षक।