इस साल खरीफ सीजन में बार-बार मौसम बदलने से किसानों के उत्पादन पर खासा असर पड़ा है। प्रति एकड़ पांच से छह क्विंटल कम धान उत्पादन होने की शिकायत किसान कर रहे हैं। किसानों का कहना है कि दिनों दिन कृषि क्षेत्र में धान के उत्पादन में बढ़ती लागत से नुकसान उठाना पड़ रहा है। धमतरी शहर से लगे हुए ग्राम पंचायत देमार, पीपरछेड़ी, परेवाडीह कुरमातराई, उसलापुर, भानपुरी रींवागहन सहित अन्य गांवों में इस साल फैली लाल मकड़ी की बीमारी से किसानों की धान फसल को नुकसान पहुंचा है।
परेवाडीह के किसान दीनदयाल साहू, पुराणिक साहू, पीपरछेड़ी के किसान लीलाराम साहू, गणेश्वर साहू ने बताया कि इस साल धान के पौधे तैयार होने के दौरान कई खेतों में लाल मकड़ी नाम के कीट के कारण धान के उत्पादन पर असर पड़ा है। धान की बालियां तैयार होने के दौरान कीट धान का रस चूस लेते हैं, इस कारण खेतों में तैयार हुई धान फसल को नुकसान पहुंचा है।
पिछले साल जहां एक एकड़ में लगभग 38 से 40 बोरा धान का उत्पादन हो रहा था, वहीं इस साल उत्पादन घटकर 32 से 33 बोरी पर सिमट गया है। भानपुरी के किसान पवन साहू, रावां के किसान शंकर सिन्हा, खोमन सिन्हा, खपरी के रामसेवक सिन्हा, भोला सिन्हा ने बताया कि इस बीमारी से बचाव के लिए हरसंभव प्रयास किया, लेकिन सफलता नहीं मिली। धान फसल के तैयार होने के समय हुई इस बीमारी के कारण नुकसान हुआ है।
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