अपने श्रम से अपना और देश का भविष्य गढ़ने वाले श्रमवीरों को भी क्या मालूम था कि एक दिन कोरोना जैसी बीमारी अचानक देशभर में तालाबंदी करा देगी और वे जिन बसों, रेल के सहारे अपनी दो जून की रोटी तलाशने जिस मुकाम पर पहुंचे थे, एक दिन वहां से सबकुछ समेट कर वापस अपने घर को आने कोई रेल या बसे भी नसीब नहीं होंगी। लाॅकडाउन में काम बंद होने से जो कुछ कमाये हुए पैसे हाथ में थे, वह भी एक-एक कर खर्च हो जाएंगे। एकाएक देश में तालाबंदी ने मजदूरों को एक बड़ा संकट में डाल दिया था। इनके चेहरे पर चिंता की लकीरें थीं। बेबसी थी और लाचारी थी। कहीं से उम्मीद की कोई किरण उन्हें नजर नहीं आ रही थी। मजदूरों की घर लौटने की आस लगभग समाप्त हो चुकी थी, ऐसे समय में मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल और श्रम मंत्री डॉॅ.शिवकुमार डहरिया की पहल ने अन्य राज्यों में फंसे हुए छत्तीसगढ़ के लाखों मजदूरों में नई उम्मीद जगा दी। छत्तीसगढ़ सरकार ने श्रम विभाग के माध्यम से अन्य राज्यों में फंसे हुए मजदूरों को घर वापसी अभियान ही नहीं चलाया, अपितु इनके भोजन और रहने की व्यवस्था भी की। श्रमिकों के खाते में पैसे भी डाले। गंभीर संकट के दौर में सरकार द्वारा सुध लिए जाने और घर तक वापस भेजने के लिए राज्य सरकार से रेल, बस सहित अन्य सहयोग मिलने पर मजदूरों को न सिर्फ बहुत खुशी है। उनका भरोसा भी छत्तीसगढ़ सरकार के प्रति बढ़ा है।
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