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Editorial :- 1948 महात्मा गांधी की हत्या के समय युवा और 1984 में सिक्खों के हुए नरसंहार के समय दूधमुहे बच्चे थे राहुल गांधी!

आरएसएस की अवमानना करने के मामले में राहुल गांधी पर मानहानि का मुकदमा दायर है। सुनवाई प्रारंभ है। राहुल गांधी ने अपने वक्तव्य में झूठा आरोप लगाते हुए कहा था कि महात्मा गांधी की हत्या संघ ने की थी।
अब यूके में जाकर राहुल गांधी ने कहा है कि   १९८४ में सिक्खों के हुए नरसंहार में कांगे्रस का हाथ नहीं था। उनके इस वक्तव्य की पोस्टमार्टम करते हुए कांग्रेस नेताओं ने विशेषकर चिदंबरम और पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने कहा है कि १९८४ में राहुल गांधी बच्चे थे इसलिये उनका हाथ उस नरसंहार में नहीं था।
इस कुतर्क के आधार पर तो यह भी सिद्ध हुआ कि १९४८ में जब महात्मा गांधी की हत्या हुई उस समय राहुल गांधी युवा थे। इसीलिये उन्होंने महात्मा गांधी की हत्या में संघ का हाथ था यह आरोप लगाया।
भारत के हम लोग कोई भी घटनाक्रम होता है  तो कुछ समय तक तो उसे स्मरण रखते हैं परंतु धीरेधीरे हम उसे भूलते जाते हैं।  
यही कारण है कि १९८४ में सिक्खों का जो नरसंहार हुआ उसे हम भूलते गये और पंजाब में आज कांगेे्रस की सरकार है। परंतु समीक्षकों का यह कहना है कि राहुल गांधी ने कांगे्रस की भूमिका से इंकार करके बैठे बिठाये मुसीबत मोल ले ली है। वे यह सफाई देकर एक दृृष्टि से फंस गये हैं।
2014 में  अर्नब गोस्वामी को दंगों में शामिल होने वाले कांग्रेसव्यक्तियों के बारे में राहुल गांधी की पिछली कबुली को यूटर्न के सबूत के रूप में प्रस्तुत किया जा सकता है।
कांग्रेस अध्यक्ष ने जर्मनी और ब्रिटेन की अपनी यात्रा पर कई अपमानजनक वक्तव्य किए हैं, लेकिन सिख विरोधी दंगों पर उनकी टिप्पणी ने अभूतपूर्व भ्रम पैदा किया है
बीजेपी ने सोमवार को 1984 के क्रूर सिख दंगों में अपनी पार्टी की भागीदारी पर यूके में किए गए टिप्पणियों के संबंध में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पर झूठा होने का आरोप लगाया था।
ट्विटर पर इसी संदर्भ में बीजेपी ने एक वीडियो साझा किया है जिसमें जनवरी 2014 से रिपब्लिक टीवी के संपादकइनचीफ अर्नाब गोस्वामी को राहुल गांधी के साक्षात्कार के क्लिप शामिल हैं, जहां उन्होंने घटनाओं में कांग्रेस पार्टी के सदस्यों की भागीदारी को स्वीकार कर लिया था। तत्कालीन प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी की हत्या जब आधिकारिक गिनती के अनुसार सिख समुदाय के लगभग 3000 सदस्य मारे गए थे, और कई बार अनौपचारिक आंकड़ों के मुताबिक।
2014 से राहुल गांधी और अर्नाब गोस्वामी के बीच हुई वार्तालाप यहां है:
अर्नाब गोस्वामी: क्या आप 1 9 84 के दंगों के लिए क्षमा चाहते हैं? क्या कांग्रेसकर्मी शामिल थे?
राहुल गांधी: कुछ कांग्रेस वाले शायद शामिल थे। अर्नब गोस्वामी: आप स्वीकार करते हैं कि कुछ कांग्रेस वाले शायद शामिल थे?
राहुल गांधी: कुछ कांग्रेस वालों को इसके लिए दंडित किया गया है।
इससे स्पष्ट है कि राहुल गांधी झूठ पर झूठ बोलकर हिटलर के प्रचारमंत्री गोएबल्स को भी मात दे रहे हैं।
वे अपने आपको कांग्रेस कहते हैं। उनके परनाना नेहरू, दादी इंदिरा, पिता राजीव गांधी और माता सोनिया गांधी के कर्मांे को तो अपने सिर पर रखकर नाचने लग जाते हैं परंतु उनके शासन काल में भागलपुर जैसे दंगो और १९८४ के दंगो  के संबंध में यह कहकर पल्ला झाड़ लेते हैं कि राहुल गांधी तो उस समय बच्चे थे।
राहुल गांधी को चाहिये कि वे परिपक्वता का परिचय देंं क्योंकि अब वे वरिष्ठ हो चुके हैं और वर्षों के बाद संभव है कांग्रेस उनकी ५१वी वर्षगांठ भी मनाएं।
अब उन्हें राजनीति में बचकानी हरकत करना बंद कर देना चाहिये। यदि वे अपनी आदत से बाज नहीं आते तो कम से कम उन्हें भारत को विदेश की धरती पर बदनाम करना तो बंद करना ही होगा। उन पर इस संबंध में संभवत: मुकदमा दायर हो भी चुका है और जनता भी उन्हें सबक सिखा देगी।