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Editorial: – What is the reason for the CPM and the Congress's outrage in action in the conspiracy case of PM Modi?

पीएम मोदी जी की हत्या के साजिश के मामले में कार्यवाही से सीपीएम और कांगे्रस की बौखलाहट की वजह क्या हो सकती है इस संदर्भ में सोचेें तो कुछ तथ्य स्पष्ट हो जाते हैं।
राहुल गांधी वर्तमान में कांग्रेस के अध्यक्ष हैं। वे प्रधानमंत्री बनने की जल्दी में कुछ भी करने को तत्पर हैं। इस संदर्भ में मुझे उनके बचपन के समय उन्होंने जो अपने पिताजी और दादी की हत्या को देखा होगा वह उन्हें संभव है तानाशाही मनोवृत्ति की ओर ढकेल रहा हो।
आज का समाचार जो भीमा कोरेगांव हिंसा के संदर्भ में और जैसा कि समाचार पत्रों में प्रकाशित हुआ है पीएम मोदी की हत्या के साजिश के मामले  में गिरफ़्तारियां हुई है उसके बाद हम कांगे्रस के व्यवहार को विशेषकर राहुल गंाधी के व्यवहार को देखेंं तो हमें लगता है कि वे सत्ता प्राप्ति के लिये कुछ भी कर सकते हैं।
चीन के राजदूत से गुपचुप तरीके से दो बार मिलना डोकलाम विवाद के समय क्या संकेत देता है?
गुजरात विधानसभा चुनाव के समय पाक विदेश मंत्री और पाक राजदूत के साथ मनमोहन सिंह और हामिद अंसारी का मणिशंकर अय्यर के ँघर भोज में सम्मिलित होना क्या संकेत देता है?
सोनिया गांधी के निर्देश पर सलमान खुर्शीद और मणिशंकर अय्यर पाकिस्तान गये थे। उन्होंने वहॉ क्या गुल खिलाया देश विरोधी हरकत की इसकी चर्चा मीडिया में बहुत हो चुकी है। उसी कड़़्ी में अभी कुछ दिनों पूर्व राहुल गांधी ने पाकिस्तान में सलमान खुर्शीद को भी भेजा था।
कल सलमान खुर्शीद का एक वक्तव्य समाचार पत्रों में पढऩे को मिला। उसके अनुसार उन्होंने मोदी सरकार की आलोचना करते हुए कहा है कि जेएनयू के साथ इस सरकार ने उचित व्यवहार उस संदर्भ में नहीं किया जब वहॉ अफजल गुरू का शहीदी दिवस मनाया जा रहा था और आजादी के नारे लगे थे।
बीते दिन सलमान खुर्शीद ने अफजल गुरू के शहीदी दिवस के समय जेएनयू में लगे आजादी के नारे को धर्म निरपेक्षता और उदारवाद से जोड़ते हुए जेएनयू के साथ मोदी सरकार ने जो व्यवहार किया उसे अनुचित बताया है और जेएनयू को बदनाम करने का प्रयास कहा है।
इसी संदर्भ में मुझे स्मरण हो रहा है राहुल गांधी  का भी जो उक्त वाकया के तुरंत बाद जेएनयू में केजरीवाल और वामपंथी नेताओं के साथ जाकर  उमर खालिद, कन्हैय्या कुमार आदी की उपस्थिति में जो आजादी के नारे लगे थे उस संदर्भ में उनकी पीठ थपथपाने पहुंच गये थे।
इसके उपरंात अभी वे जर्मनी में जाकर आईएस को सर्टीफिकेट देते हुए उसके जन्म का कारण बेरोजगारी बताया है। इतना ही नहीं यूके में  जाकर उन्होंने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ जैसी समाजसेवी, सांस्कृतिक, राष्ट्रवादी संगठन को मुस्लिम ब्रदरहुड से जोड़ दिया है वह उनकी एक प्रकार से कुंठा ही है।
कल का समाचार है जिसके अनुसार केन्द्रीय मंत्री हरसिमरत बादल ने तथ्य प्रस्तुत करते हुए आरोप लगाया कि अमेरिका में मनदीप सिंह की हत्या के लिये कांगे्रस और आईएसआई जिम्मेदार है।
इसी संदर्भ में हम देखें तो राहुल गांधी के अभी के जो सिपहेसालार हैं जिग्रेश, हार्दिक पटेल, कन्हैय्या कुमार उमर खालिद उनके क्रिया कलापों पर भी नजर डाले तो हमें यह समझने में आसान होगा कि राहुल गांधी स्वयं किस ओर जा रहे हैं और वे कांगे्रस को किस ओर ले जा रहे हैं तथा किस प्रकार के विपक्षी पार्टियों के नेताओं की एकता कायम कर रहे हैं।
कन्हैय्या कुमार, हार्दिक पटेल और उमर खालिद पर देशद्रोह के मुकदमे हैं। जिग्रेश का नाम भीमा कोरेगांव हिंसा से भी जोड़ कर देखा जा रहा है। उन्हें गुजरात विधानसभा चुनाव के समय पीएफआई आईएसआई से संबंधित संस्था ने ही नहीं बल्कि अरूंधति राय और जेएनयू की प्रोफेसर मेनन ने भी आर्थिक मदद की थी।
पीएफआई एक्टिविस्ट जो कर्नाटक में अपराधिक हत्याजनक घटनाओं में जेल में बंद थे   उन्हें भी वहॉ के विधानसभा चुनाव के समय जेल से छोडऩे का निर्णय सिद्धारमैय्या की कांग्रेस सरकार ने लिया था।
इन सब घटनाओं के तारतम्य में सभी कडिय़ों  को जोड़ते हुए हम देखें तो हमें ऐसा लगेगा कि राहुल गांधी येनकेनप्रकारेण सत्ता हथियाने के लिये गलत रास्ता, देश विरोधी रास्ता अख्तियार कर रखे हैं। उन्हें इस संबंध में विचार करना चाहिये और सही दिशा जो देशहित में हो उस पर चलने का प्रयत्न करना चाहिये।