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Editorial : India VS Rahul Gandhi

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कल गिरफ्तार हुए माओवादी समर्थकों के समर्थन में सरकार पर तंज कसते हुए लिखा, ‘Óभारत में सिफऱ् एक एनजीओ के लिए जगह है और इसका नाम आरएसएस है, बाकी सभी एनजीओ बंद कर दो। सभी ऐक्टिविस्टों को जेल में भेज दो और जो लोग शिक़ायत करें उन्हें गोली मार दो। न्यू इंडिया में आपका स्वागत है।
दिन पूर्व की ही दूसरी घटना का भी है जिसमें ईराक से शिया धर्म गुरू का फतवा आया है कि भारत के वक्फ बोर्ड की जमीन पर मंदिर नहीं बन सकता।
इन सब स्थिति के पीछे एक सत्य जो छिपा हुआ है वह यह है कि अब राहुल गांधी के क्रियाकलाप भारत विरोधी हो गये हैं। वे भारत विरोधी विदेशी शक्तियों के हाथों में उसी प्रकार से खेल रहे हैं जैैसे यहॉ के फॉरेन फंडेड देश विरोधी एनजीओ और चीन परस्त कम्युनिस्ट।
भारत के वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी ने ईराक से सिया धर्मगुरू के आए फतवे के संदर्भ में जो प्रतिक्रिया दी है वह एक सच्चे राष्ट्रवादी देशभक्त की है : ‘शिया वक्फ बोर्ड भारतीय संविधान के हिसाब से काम करेगा। वह आतंकवादियों के दबाव में नहीं आएगा और ही किसी फतवे के अनुसार काम करेगा।
ठीक इसके विपरीत कांगे्रस के अध्यक्ष बनने के उपरांत राहुल गांधी जो वक्तव्य जर्मनी, यूके में  और उसके बाद भारत में आकर जो जोशखरोश में होश खोकर प्रतिक्रिया दी है उससे तो यह लगता है कि वे गैरराष्ट्रवादी हैं।
जिस प्रकार से इंदिरा गांधी के किचन में कम्युनिस्टों का जमावड़ा था उसी प्रकार से अब राहुल गांधी के ड्राईंग रूम में भी कम्युनिस्टों और माओवादी संगठनों का प्रभुत्व है।
उन्होंने आज गिरफ्तार पांच माओवादी समर्थकों की गिरफ्तारी पर रोष प्रकट करते हुए प्रतिक्रिया दी है और उसमें एनजीओ शब्द का उपयोग आरएसएस के संदर्भ में किया है, इस संदर्भ में कुछ तथ्य यहॉ प्रस्तुत करना आवश्यक है।
केजरीवाल, मनीष सिसोदिया के एनजीओ को    फोर्ड फाउंडेशन से फाईनेंस होते रहा है। यह फोर्ड फाउंडेशन सोनिया गांधी के इटली में जो गांव है उससे संबंधित है। यही कारण है कि अपने जीवनकाल में केजरीवाल ने एक शब्द भी सोनिया गांधी के विरूद्ध नहीं कहा है।
यह खुला तथ्य है कि नेपाल के अधिकतम माओवादी नेता ईसाई हैं और उनका सोनिया गांधी सीधे या परोक्ष रूप से अच्छा रिश्ता है। माओवादी कांग्रेस नेतृत्व के आशीर्वाद के साथ भारत में अपने पंख फैल रहे हैं।
भारतीय और नेपाली माओवादी ईसाई धर्मों को अमेरिका और ब्रिटेन की खुफिया एजेंसियों के सहयोग से चर्च द्वारा बनाए और वित्त पोषित करते हैं।  
1 9 50 के दशक में नियोगी कमेटी की रिपोर्ट के रास्ते ने मिशनरी और जनजातीय क्षेत्रों में उनकी राजद्रोह गतिविधियों के बारे में बहुत स्पष्ट रूप से चेतावनी दी थी और कहा कि जब तक उन्हें निष्कासित नहीं किया जाता है, वे राज्य के खिलाफ सशस्त्र जनजातीय विद्रोह शुरू करेंगे।
मध्य भारत के जनजातीय क्षेत्रों में पश्चिमी चर्चों द्वारा प्रति वर्ष 12,000 करोड़ रुपये अविश्वसनीय रूप से भेजा जा रहा है और अनुमानित 4,000 व्हाइट मिशनरी वहां काम कर रहे हैं (उनमें से ज्यादातर खुफिया एजेंट) आपको क्यों लगता है कि माओवादियों के खिलाफ सोनिया गांधी का कभी भी झुकाव नहीं है जब तक कि यह महिला भारत में बनी रहेगी, हम ईसाई माओवादियों से लडऩे के बारे में भूल सकते हैं।
>> इकबाल कासकर ने बताया है कि दाऊद इब्राहिम और जाकिर नाइक के बीच संबंध हैं। दाऊद जाकिर नाइक को एनजीओं के जरिए पैसे देता था।
>>विकास योजनाओं के खिलाफ माहौल बनाने के आरोपों में घिरे अंतरराष्ट्रीय एनजीओ ग्रीनपीस के विदेशी सहायता लेने पर रोक लगा दी गई थी। इससे भी राहुल गांधी व्यथित हैं।
>> पूर्व एमएचए अंडर सेक्रेटरी आनंद जोशी ने 10 मई, 2016 को दावा किया था कि कि फोर्ड फाउंडेशन चेयरपर्स के पर्सनल असिस्टेंट ने अक्टूबर 2015 में उनसे संपर्क किया था और उनके समर्थन के बदले पैसे की पेशकश की थी और जब उन्होंने इनकार कर दिया था, तो उन्हें फोर्ड फाउंडेशन को क्लीन चिट देने के लिए वरिष्ठ अधिकारियों ने कथित तौर पर दबाव डाला था।
अभी गत माह में मीडिया में एक विशेष चर्चा रही है कि मिशनरी ऑफ चैरिटी द्वारा नवजात शिशुओं को पचास हजार से एक लाख रूपये तक में बेचा जा रहा है झारखंड में।
इसके अलावा और सनसनीखेज समाचार इस हफ्ते प्रकाशित होते रहे हैं कि केरल में चार पादरी मिशनरी की ही नन से रेप के अपराध में गिरफ्तार हुए हैं। इस प्रकार के अनेक समाचार समयसमय पर प्रकाशित होते रहे हैं।
उक्त घिनौनी अमानवीय हरकतों के अलावा क्रिस्चियन मिशनरियां और उनके आर्कबिशप तथा पादरी भारत विरोधी गतिविधियों में भी संलग्र रहे हैं।