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किसान आंदोलन में लग रहा है विदेशी पैसा! किसान संगठन की FUNDING को लेकर उठे सवाल

22-dec-2020

आंदोलन के नाम पर दिल्ली की सीमाओं पर पिछले तीन हफ्ते से ज्यादा वक्त से किसान जमे हुए हैं। इनमें पंजाब के किसानों की संख्या सबसे ज्यादा है। पेश ऐसे किया जा रहा है कि यह सभी किसान हैं और अपनी गाढ़ी कमाई के बल पर ही आंदोलन का खर्च उठा रहे हैं। लेकिन हकीकत इससे कहीं अलग हैं। सच्चाई यह है कि मोदी सरकार के खिलाफ माहौल बनाने के ले इन किसान संगठनों को विदेशों से जबरदस्त फंडिंग हो रही हैं। आपको बता दें कि पहले भी किसान आंदोलन को खालिस्तानी, इस्लामी कट्टरपंथी और वामपंथी ताकतों द्वारा हाइजैक किए जाने की बात पहले ही सामने आ चुकी है।

जो किसान संगठन कथित तौर पर नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं उनमें एक भारतीय किसान यूनियन (क्च्य एकता-उग्राहन) भी है। इसी संगठन पर विदेशी फंडिंग का शक जाहिर किया गया है। मीडिया रिपोट्र्स के अनुसार एक केंद्रीय एजेंसी ने उस रजिस्ट्रेशन का विवरण साझा करने को कहा है, जिसके तहत क्च्य (एकता-उग्राहन) को विदेशी फंडिंग पाने की अनुमति मिली हुई है।

आपको बता दें कि क्च्य (एकता-उग्राहन) को पिछले 2 महीनों में लाखों रुपये की फंडिंग मिली है, लेकिन उसे इसका कोई अंदाज़ा नहीं है कि इसमें से कितना विदेश से आया है। 6 दिसंबर 2020 को क्च्य (एकता-उग्राहन) ने एक अपील जारी कर विरोध-प्रदर्शन को आगे बढ़ाने हेतु फंडिंग की अपील की थी। इसके बाद विदेशों से पैसे जमा होने लगे। इस संगठन का जो बैंक खाता है, वो स्नष्टक्र्र (विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम) के तहत रजिस्टर्ड नहीं है। ऐसे में बैंक के फॉरेन एक्सचेंज विभाग ने भी बैंक खाते में आ रही फंडिंग को लेकर सवाल खड़े किए हैं।

सूत्रों के मुताबिक क्च्य (एकता-उग्राहन) ने स्नष्टक्र्र के नियमों का पालन नहीं किया है, ऐसे में उसे आई विदेशी फंडिंग वापस दानदाताओं के एकाउंट्स में लौट सकती है। बैंक अधिकारियों का कहना है कि बिना केंद्रीय गृह मंत्रालय के समक्ष रजिस्ट्रेशन कराए कोई भी व्यक्ति या संगठन विदेशी फंडिंग नहीं प्राप्त कर सकता।

केंद्रीय एजेंसियों की चौकसी से घबराए क्च्य (एकता-उग्राहन) ने अपने वकीलों से एक जवाब तैयार करने को कहा है। संगठन को लग रहा है कि विदेशी फंडिंग के लिए उसे सरकारी एजेंसियों से समन मिल सकता है, इसलिए पहले से ही जवाब की तैयारी की जा रही है। लेकिन इस पूरे प्रकरण से साफ हो गया है कि किसान आंदोलन के विदेशों के फंडिंग की जा रही है।