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Editorial :- सोनिया गांधी और राहुल अर्बन नक्सलिज्म के मुखिया हैं ….?

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नॉट इन माई नेम मुहिम का प्रारंभ जैसे रॉबर्ट वाड्रा के जीजा तहसीन पुनावाला ने पाकिस्तान की शह पर प्रारंभ की थी उसी प्रकार से मी टू अर्बन नक्सलÓ मुहिम का प्रारंभ हुआ है अरूंधति राय तथा अन्य ने कथित बुद्धिजीवियों द्वारा।
तात्पर्य यह है कि अर्बन नक्सल कहलाना कुछ लोगों के लिये अब गौरव का विषय होता चला जा रहा है। इन सबका नेतृत्व सोनिया गांधी जी के इशारे पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी कर रहे हैं। इसमें विशेष सहयोगी की भूमिका मनु सिंघवी और चिदंबरम तथा सलमान खुर्शीद ने निभाई है।
सलमान खुर्शीद ने पिछले हफ्ते वक्तव्य दिया था कि जेएनयू में अफजल गुरू के शहीदी दिवस मनाये जाने के समय जो आजादी के नारे लगे थे, जिन वामपंथी विद्यार्थी नेताओं की उपस्थिति में उस संबंध में मोदी सरकार ने जो कदम उठाये वह  अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता तथा भारत की उदारवाद की नीति के विरूद्ध थे।
कांग्रेस के प्रवक्ता और सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता मनु सिंघवी ने अर्बन नक्सल अर्थात माक्र्सवादी समर्थकों की जो गिरफ्तारी हुई थी उसके विरूद्ध मध्यरात्रि में सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे खुलवाये। इस प्रकार का कदम उन्होंने निर्भया जैसा कांड करने वाले रेपिस्ट के विरूद्ध नहीं उठाये थे।
पी चिदंबरम ने अब वक्तव्य दिया है कि  ‘शहरी नक्सलवाद के रूप में कोई बात नहीं, वे वामपंथी बौद्धिक हैंÓ
यहॉ यह उल्लेखनीय है कि इन्हीं चिदंबरम ने यूपीए शासनकाल में गृहमंत्री के रूप में पदभार संभाला था, उन्होंने कहा कि नक्सल हमारे पहले रैंक दुश्मन हैं। उन्होंने कहा था कि जो कुछ भी हो सकता है, हम उन्हें खत्म कर देंगे।
सच पूछा जाये तो अर्बन नक्सलिज्म का यूपीए सरकार के समय ये प्रतिनिधित्व करते रहे हैं।
अर्बन नक्सलिज्म का एक मुख्य प्रचार का आधार है भारत के गौरवशाली इतिहास को नष्ट कर हिन्दूइज्म के विरूद्ध पूरे देश में वातावरण बनाना।
इसीलिये चिदंबरम ने लखनऊ में कहा था : भारत में गरीबी हमेशा रही और इसे समृद्ध देश के रूप में प्रचारित करने का तथ्य मिथ्या था। उन्होंने कहा कि यह शिक्षा देना कि भारत 500 वर्ष पहले समृद्ध और दूधशहद का देश था, तथ्यात्मक रूप से गलत है। भारत में गरीबी थी और है। हाँ, कहींकहीं समृद्ध क्षेत्र जरूर थे।
उन्होंने कहा कि भारत के गौरवशाली अतीत का पाठ पढ़ाने वाली पुस्तकों को जला दिया जाना चाहिए।
कार्ल माक्र्स भी यही सोचते थे : कम्युनिज्म के पितामह काल माक्र्स भी भारत को ऐतिहासिक रूप से गरीब देश मानते थे। उनका दावा था कि भारत कास्वर्णकालÓ महज एक भ्रम है। भारत हमेशा से गरीबों और भूखों का देश रहा। यही नहीं, माक्र्स ने कहा था कि ब्रिटिश शासकों ने भारत के कुटीर उद्योग और अर्थव्यवस्था को नष्ट करके अच्छा ही किया, ताकि भारत आधुनिक हो सके।
भारत का जो भगवा ध्वज के प्रतिकात्मक   गौरवशाली इतिहास रहा है उससे कांगे्रस और अन्य भारत की हितों के विरूद्ध दृष्टि रखने वाली  संस्थाओं और नेताओं को है।  इसीलिये ये सब भगवा रंग को जहर समझते हैं।
कमल हासन केरल के मुख्यमंत्री विजयन से कान में मंत्र लेकर जब तमिलनाडू लौटे तो उन्होंने जो कहा था उसी को अभी डीएमके के नवनिर्वाचित अध्यक्ष स्टालिन ने दोहराते हुए कहा कि वे भगवाकरण के विरूद्ध हैं।
अर्बन नक्सलिज्म का अनुकरण करते हुए राहुल गांधी ने कर्नाटक में हिन्दुओं को बांटने के लिये लिंगायत को अलग धर्म की संज्ञा देने का प्रयास किया था।
बेनी हिन्न और रामबाबू जैसे ही राहुल गांधी भी   बहुरूपीया रूप धारण कर लोगों को ठगने का प्रयास कर रहे हैं। बेनी हिन्न की पत्नी सोनिया गांधी जी की मित्र रही हैं।
अर्बन नक्सलिज्म का दूसरा आधार है सैनिकों के खिलाफ प्रचार, और सेना में घुसपैठ :
इसी आधार पर वामपंथी और वर्तमान कांगे्रस के नेता भारत की सेना के विरूद्ध दुस्प्रचार कर रहे हैं। कांग्रेस के संदीप दीक्षित ने तो आर्मी चीफ रावत को सड़क का गुंडा तक कह डाला था। कांग्र्रेस और आप पार्टी के नेताओं ने सर्जिकल सट्राईक पर भी प्रश्र चिन्ह किये थे।
गुलाम नबी आजाद ने तो यहॉ तक कह डाला कि कश्मीर में भारत की सेना के ऑपरेशन से आतंकवादियों से ज्यादा आम नागरिक मारे जा रहे हैं।
इससे सिद्ध होता है कि कांग्रेस के नेता अर्बन नक्सलिज्म के मुखिया हैं।
अर्बन नक्सलिज्म का चर्च से क्या संबंध है इसकी भी कुछ चर्चा करना आवश्यक है।
पश्चिम में सशस्त्र बलों के विंग है : सेना, वायुसेना, नौसेना और चर्च।
अर्बन नक्सलिज्म की गिरफ्तारी पर पूरे देश में कांगे्रस और वामपंथी नेताओं द्वारा विशेष रूप से रोष प्रकट किया जा रहा है।
राहुल गांधी ने इस संबंध में प्रतिक्रिया देते हुए      कहा किनए भारत में सिर्फ एक ही एनजीओ के लिए जगह है और उसका नाम आरएसएस है। बाकी सभी एनजीओ बंद कर देने चाहिए। सभी कार्यकर्ताओं को जेल भेज दीजिए और शिकायत करने वाले को गोली मार दीजिए। न्यू इंडिया में आपका स्वागत है।
इस प्रकार के रोष प्रकट करने के पीछे जो कारण है वह यह भी है कि पश्चिमी देशों की आर्थिक सहायता से भारत विरोधी गतिविधियां चलाने वाले जो एनजीओ थे उनके उपर कठोर कार्रवाई वर्तमान सरकार द्वारा की जा रही है।
देखने मेें आया है कि भारत विरोधी गतिविधियां चलाने वाले एनजीओ को पाश्चात्य देशों की क्रिस्चियन मिशनरियों से सहायता मिलती है।
अक्सर यह कहा जाता है कि पश्चिम में सशस्त्र बलों के चार विंग है : सेना, वायुसेना, नौसेना और चर्च।
अधिकारियों का कहना है कि शहरी नक्सली गतिविधियों में जो अचानक वृद्धि हुई उसके पीछे  चर्च आधारित मिशनरियों से विदेशी सहायता रही है। इसी से बौखलाकर राहुल गांधी ने उक्त वक्तव्य दिया था।
रिसर्च एंड एनालिसिस विंग के पूर्व अधिकारी अमर भूषण कहते हैं कि गैर सरकारी संगठनों पर कार्रवाई के बाद धनराशि रोक दी गई है। मिशनरी, नक्सल और उनके शहरी सहयोगी बेताब हो गए हैं। अब वे देश को तोडऩे के सभी संभावित तरीकों की तलाश करेंगे।  भूषण कहते हैं, मेरी राय में शहरी नक्सली सबसे खतरनाक हैं।
सोनिया गांधी के नेपाल के माओवादियों से निकट के संबंध रहे हैं। नेेपाल के पूर्व मुख्यमंत्री प्रचंडा ने एक बार कहा था कि नेपाल के बाद हमें  यदि लडऩा है तो वह भारत की सेना ही है। ०३ सितंबर  २००७ में एक दृष्टि से सोनिया गांधी के  निर्देश पर माओविस्ट सुप्रीमो प्रचंडा और उसके डेप्टी बाबूराम भट्टाराय से एक होटल में मुलाकात की थी।
सोनिया गांधी के क्रिस्च्यिन मिशनरियों से भी निकट के संबंध ही नहीं रहे हैं बल्कि भारत में उनके द्वारा धर्मांतरण कराने में सहायक भी रही हैं।  एक उदाहरण ग्लैडी स्टेन का ही दे सकते हैं। ऑस्ट्रेलियन ग्राहम स्टेन की वह पत्नी हैं। ग्राहम स्टेन की हत्या के बाद ग्लैडी स्टेन भारत सदैव के लिये छोड़कर आस्ट्रेलिया चली गई थी। परंतु सोनिया गांधी ने उन्हें ऑस्ट्रेलिया से वापिस बुलाया और पद्मश्री की उपाधि भी दिलवाई।
इस प्रकार से हम कह सकते हैें कि अर्बन नक्सलिज्म के मुखिया कांग्रेस और उनके नेता राहुल गांधी, चिदंबरम, मनु सिंघवी आदि है।