इस साल झारखंड के आठ हजार से अधिक शिक्षकों को तब बड़ा झटका लगा जब झारखंड हाई कोर्ट ने इनकी नियुक्ति रद करने का फरमान सुनाया। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने मरहम लगाते हुए उन्हें अंतरिम राहत प्रदान की। दरअसल, हाई कोर्ट की वृहद पीठ ने नियोजन नीति को असंवैधानिक करार देते हुए अधिसूचित जिलों के शिक्षकों की नियुक्ति रद कर दी और दोबारा नियुक्ति करने का आदेश दिया। हाई कोर्ट के आदेश के बाद शिक्षकों के साथ-साथ राज्य सरकार के लिए बड़ा झटका था।
लेकिन सरकार और शिक्षक इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षकों को फिलहाल नहीं हटाने का आदेश दिया है। नियोजन नीति के तहत राज्य में कई विभागों में नियुक्ति हो रही थी। लेकिन हाई कोर्ट के आदेश के बाद से कई नियुक्तियां प्रभावित हो गई है।
नियोजन नीति को यह कहते हुए हाई कोर्ट में चुनौती दी गई कि कोई भी पद शत-प्रतिशत आरक्षित नहीं किया जा सकता है। लेकिन राज्य सरकार ने नियोजन नीति के तहत जारी विज्ञापन में ऐसी शर्त लगाई है। इससे अपने ही राज्य के 11 जिलों के अभ्यर्थी आवेदन देने से वंचित हो गए हैं। एकल पीठ से शुरू हुई सुनवाई वृहद पीठ तक गई। यहां पर वृहद पीठ ने सरकार के नियोजन नीति को असंवैधानिक करार दे दिया। कोर्ट ने कहा कि शत-प्रतिशत आरक्षण देना संवैधानिक नहीं है। हाई कोर्ट के आदेश के चलते 13 अधिसूचित जिलों के आठ हजार से ज्यादा शिक्षक प्रभावित हुए। इसके साथ ही इन जिलों में होने वाली सभी नियुक्तियों पर रोक लग गई। इसमें पंचायत सचिवों की नियुक्ति भी शामिल है।
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